Book Title: Pasanahchariyam
Author(s): Padmkirti
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 480
________________ वर] शब्दकोश [१७५ वंदण-वन्दन ४.१०.९,६.१४.१०;८.८.१. वंस-वंश ( = कुल ) ६.९.७११.२.१२ वंस-वंश (= एक वाद्य) ८.७.६,९.५.८.१०.५.५. वंस-वंश ( = वाँसका वृक्ष ) १४.२.९ विंद-बूंद ४.१०.११;७.८.१ वक्क-वक्त्र ३.७.२. वग-चक्र ३.१४.३ वगलामुह-वगलामुख (= वडवानल ) ११.१.१४. वग्ग-व्यग्र (= व्याकुल) ११.७.१२ वग्ध-व्याघ्र ( = बाघ ) २.१२.९,३.२.७ Vवज-वद् ( = बजना ) (हे० ४.४०६) वर्त० तृ० ए० वजइ ६.१४.६. वर्त० कृ० वजंत ८.२३.६ भू. कृ. वज्जिय १५.३.६. Vवज-वर्जय ( = छोड़ना) वि. द्वि० ए० वजिजहि ४.९.६,५.६.९ वर्त० कृ० वजंत १४.३०.१० भू० कृ. वज्जिय २.१५.९;६.७.८;७.१.३,१४.९.६. वज-वज्र ६.४.८.८.२१.१०. वजंकुस-वज्रांकुश ६.५.४. वजसूइ-वज्रशूचि ८.२१.१०. वजण-वर्जन १४.२५.४. वजधर-वज्रधर ( = इन्द्र) ८.१.८. *वजरिय-वजर का भू. कृ. (= कथित = कहा गया) १४.९.२ वजवाहु-वज्रबाहु (= एक राजा ) ६.१.५. वजवीर-वज्रवीर ( = एक राजा) ५.१.५ वजाणल-वज्र + अनल ११.१०.१२ वजासिणी-चन + अशनि ( = एक अस्त्र) ७.१.४,१२.११.२.१४.२२.४,१४.२८.८. वच्छ-वक्षस १.१४.३६.११.८. वच्छ-वत्स १.१४.३. वच्छत्थल-क्षस + स्थल ६.११.८८.२२.१,११.१२.९ वच्छल्ल-वात्सल्य ७.६.५. -वच्छल ९.८.३ Vवट्ट-वत् ( = आचरण करना) वर्त० प्र० ए० वट्टमि ४.७.७. वट्टणी-वर्तनी (=कर्तरी ? ) ४.१२.८. वट्टमाण-वर्तमान १.२.२. वड-वट (वृक्ष) १४.२.९. वडोहर-(= एक वृक्ष ) १४.२.८ Vबढ़-वृध ( = बढ़ना, हे० ४.२२८) वर्त० तृ० ए० वड्ढइ १.१२.८११.३.१;१४.२१.१ वर्त० कृ० वड्ढ त-य. ४.९.४. भू. कृ. वढिय १.१२.७१.१२.९. वड्ढत्तण-वार्धक्य ८.१७.९ कवड्ढय-(= बड़ा-वड्डो० दे० न० ७.२९) १०.१.१३. वण-वन १.६.३;३.९.६,३.१२.२,११.९.७,१७.९.४. वणफल-वनफल ( = निरर्थक फल ) ७.१३.९. वण्ण-वर्ण १.१३.२६.११.१५ Vवण्ण-वर्णय ( = वर्णन करना) कर्म० वर्त० तृ० ए० वणिजइ १.५.८ १.६.६. 'वत्त-पत्र ९.१३.३; वत्त-वार्ता १.११.२,१.१३.९,९.७.७१०.१.३. वत्थ-वस्त्र २.१६.८,३.१०.८६.८.९ वत्थु-वस्तु ( = चौदह पूर्व के अध्याय ) ७.४.१. वत्थु-वस्तु (= सामग्री) ३.२.१. वद्धणहं-बद्ध ( = वड्ड ) धातुका क्रि० कृ० ११.२.९ Vवद्धाव-वर्धापय (= वधाई देना) भू० कृ० वद्धाविय ९.१.६,१७.२.३. *वमाल-(= प्रचुर ) ६.११.६;६.१२.३,१४.४.१. वम्मदेवि-वामादेवि ८.२.१. --वम्मा देवि १३.२०.१३. -वम्मा ८.७.१. वम्मह-मन्मथ (= कामदेव हे. १.२४२) १.९.३;६.९.१६. १४ ८.१०.१३. वय-वचन ३.१.१. वय-व्रत १.१.५,३.७.३ (बहुशः) वयण-वदन १.५.५,१.१९.४. वयण-बचन १.१६.३,२.५.१%,१४.७.१. वर-त स श्रेष्ठ १.३.९,१.७.१० (बहुशः) -यह शब्द बिना किसी विशिष्ट अर्थ के 'स्वार्थ' नियमके अनुसार मूल शब्दके बादमें जोड़ा गया है यथाजिणवर १.१.१. गयवर १.३.९,१.१८.८,३.१४.१. दियवर १.१०.९. सरवर १.२३.१०. णरवर २.३.६ णरवरिंद २.१५.४. मुणिवर ३.४.९. तरुवर ३.७.१. रहवर ३.७.१,११.१०.५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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