Book Title: Pasanahchariyam
Author(s): Padmkirti
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
________________
१८८ ]
सूपसिद्ध – सुप्रसिद्ध
सूर - शूर १.१६.४८. ९.४; १४.९.११ सूरत स ( = सूर्य) १.७.४
- सूरपुत्त (सूर्य पुत्र यम ) ११.११.३
रेस (आचार्य विद्वान् ) १.५.६२.५.८ सूल - शूल ( = बबूलका काँटा ) ७.९.८
सूरि
सूल - शूल ( = पेटका रोग) २.१३.८
सूल - शूल ( = शस्त्र) ११.३.९, ११.७.२
सूसर—सुस्वर ८.५.५५८.१८.५५८.२०.५.९.१.९ संभव - संधव (सिंधु प्रदेशका निवासी ) ९.४. १०६
=
११.४.११; ११.६.१
संवलि - (= नरकका एक वृक्ष) १८.१.१०:२.११.६
सेज्ज - शय्या ३.१०.८
सेजवाल - शय्यापाल ( = शयन कक्ष
की देखरेख करने वाला ) ६.७.९ "सेडि-श्रेणि (श्रेणिचारण ऋद्धि) ७.७.२ सेटि — श्रेणि ४.४.४;६.३.२
सेण - सेना ११.४.११,१२.५.५; १२.१०.९ - सेण्ण ९.१०.७; ११.१.४
सेणामुह - सेनामुख ( = सेना एक भाग) १२.५.५ सेगाव-सेनापति २.२.३६.६.५
सेणि श्रेणि (= समूह) १२.१०.९
सेय - श्वेत ( ? ) १०.५.७
सेयंस- श्रेयांसनाथ ( = ग्यारहवें तीर्थंकर) १७.१०.६ V सेव - ( = सेवन करना, सेवा करना )
वर्त० तृ० ए० सेवइ १. १०.३
वर्त०
० तृ० ब० सेवंति १.५.५
वर्त०
० कृ० सेवंत १.१३.२;२.१.८;२.४.६ वि० द्वि० ए० सेविज्जहि ४.९.३, ५.६.१० कर्म० वर्त० कृ० सेविजमाण १२.६.३
प्रे० भू० कृ० सेवाविय ६.१३.४ पू० कृ सेविणु १.१४.२
सेव - सेवा १.१३.१२,३.११.४;६.१०.१ सेवाल - शृगाल १८.३.७
सेवि - सेवी ( = सेवा करने वाला) ६.७.२ सेल — शैल ७.१.४;८.१९.७;१६.१.७
*सेल्ल - ( = वाण; दे० ना० ८.५७) ११.३.१०;११.७.१;
१२.७.४
सेस - शेष ( = बचा हुना) २.१३.७,७, ६.८:१३.८.५ सेस - शेष ( = नाग ) ९.१३.९,१५.२.२
*सेह - ( = सेयी = एक प्राणी) ७.९.६
Jain Education International
पार्श्वनाथचरित
-
सेहर - शेखर ( = मस्तकस्थित माला) १.२.३,८.२२.३ सोइ - सोऽपि १६. १४. १ सोउ – सो तु ११.५.१३ सोंड-सुन्दा (सूँड) १२.२.३ सोंडीर शबीर १७.२१.४
सोक्ख – सुक्ख १.१०.५,२.५.७;४.८.७;७.१.७ सोच सोचना) वर्त०
=
० तृ० ए० सोचइ १०.८.१०
सोणिय - शोणित ११.३.१० सोत्तियश्री २.६.५ सोम-सौम्य १५.११.२ सोम --
-तस ( = चन्द्रमा) १७.२४.४ सोमदिसि सोमदिश (ईशान ) २.१०.२ सोमवंस - ( चन्द्रवंश) १०.१२.१९
=
सोमावतार - सोमावतार (चन्द्रवंशी ) ९.४.७ सोय - शीप (पवित्र) २.१६.२
=
सोरट्ठ - सौराष्ट्र ११.५.११ सोलंकिय-सोली चालुक्य वंशी) ९.४.८ सोलह – षोडश ७.६.७,८.४.६; १४.१.७, १४.३०.९ सोलस १.६.२
[ सूपसिद्ध
सोवंतय - स्वप् (सोना) का०व० कृ० + क. २.१३.४ सोवण ६.३.२०८.१३.८ सोवण्णकुमार - सुपर्णकुमार (= भवनवासी देवोंका एक भेद) १६.९.३
V सोस - शोषय् (= सुखाना ) वर्त० तृ० ए० सोसइ ४. १.४ भू० कृ० सोसिय ४.८,१२,६.१०.९ सोस - शोष (शोषक) ८.८.९ सोसण-शोषण (शोषक) ६.१२.१ - स्त्री सोसणी १२.११.१ सोह -- शोभा ५.११.४;५.१२.१२,८.१६.६६
=
=
८.१९.१; १२.१.४; १२.१.७
V सोह - शोम् (= शोभा देना = शोभित होना) वर्त० तृ० ए० सोहइ १.१६.१,१.६.६
सोहा – सौभाग्य ८.३.१०
सोहम्म - सौधर्म (= प्रथम स्वर्ग) ६.१४.२,८.१७.९
सोधम्म १६.५.१ सोद्देविणुशोधू (शोधना का० ० ० ०.२.११
ह
हउं अहम् १.२.१,१.१७.७;१०.१.६ हंस – त स १०.५.२,११.११.१७
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538