Book Title: Pasanahchariyam
Author(s): Padmkirti
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 485
________________ १८० ] विहाण विधान ३.१३.९६४.१०.० बिहार (देवमन्दिर ) १२.२.५ विहि - विधि ( = अनुष्ठान आदि ) ८.८. १ -- विहि-विधि (विधवा) १३.६.२ विहिं म अपि १.१५.६१.१५.४६५.५.१ विहीण - विहीन २.५.५ विहुणिय (हित) १५.१०.८ = विण विहीन ४.१.१०.२.८ बिदुर - विपुर (ब्याकुल १०८.११ विहूसण - विभूषण ३.१२.१० विसिय विभूषित १.१.४१.२३.१०५.२.३५.२.१० वीजय - द्वितीय ५.१.१३ बीण - बीमा ८.७.६ वीणवाय - वीणावाद्य ८.१८.५ - - - - विहिवसे (विधिवशात् ३.१५.९ - विही १२.११.९ - वीर वीर्य -बीत २.६.५; बीर(पराक्रमी १.१०.१२.५.६६.१.७९.१.६ -तस (= भगवान् महावीर ) १७.१०.१० वीरिव वीर्य (= सामर्थ्य) ०.५.२ वीरियाणवीवाद (तीसरा पूयांग) ७.२.२ बीस विंशत् १६.६.५ वीसम - विंशतितम १७.११.१० वीसरिय — विस्मृत १.२०.२ बीसास - विश्वास १.२०.८ वेसास १.१२.७ * वुञ्च - वच् (= बोलना ) वर्त० तृ० ए० बुच्चइ ३.११.५ वर्त० द्वि० ब० वुच्चहु २.५.६ *बुजरना वर्त ० ० तृ० ए० वुज्जइ १२.३.११ वुड्ढ – वृद्ध ४.९.७ वुड्ढत्तण-वृद्धत्व ५.५.८ *वुण्ण - ( = मीत, दे० ना० ७.९४) ११.१०.१५, १३.१७.८ युत्त उत १.११.३१०.१.५. चूह - व्यूह ( = समूह ) १७.७.५,१७.१६.५ वेइ – वेदि १६.१३.८ - वेग त स ८.१५.८ -- + कृ ० पू० कृ० ८.१०.६ - वेय १.२१.६ * वेना = विश चका) १२.१.७ Jain Education International पार्श्वनाथचरित बेटियवेटिव १.७.७.२.१३.६,८.१०.१,१२.२.१ वेढा विय- वेष्ट का प्रे० भू० कृ० १२.३.२ वेतरणि वैतरणी २.११.३ बेतासबेवासन १६.२.२ वेयडूढ- वैताढ्य ( = एक गिरि) ४.४.३,४.६.१०१६.४.८; १६.१०.८ वेयण - वेदना २.१२.२ वेणी - वेदनीय (कर्म) ६.१५.९,६.१६.३ बेयरणि बैतरणी १८.१.१० वैयालाल १५.१८.३ बेयावमावृत्य ४.१.८००.६.२ वेरुलिय] दे० ना० ७.७९) १५.८.६ वे, बे द्वौ ( सर्वदा वि के साथ आया है) १.१०.६;१. - १०.१०८.१५.४ वेल - बेला ( = समय ) ८.५.९; = बेलंधर ( देवोंका एक भेद) १६.८.४ बेलिय- संभवत: देवि प्रतारित) १६.६.९ वेला त स ( = समुद्रका ज्वार ) ९.२.११, ९.१३.११; = १६.१३.७ बेलाइत्तबेला + आयत्त ( = समयके अधीन ) १०.९.१० वेडय+पण्ड (नपुंसक) २.२.१० वेस-वेष ६.९.६, १७.५.१०; १७.२२.७ वेसा - वेश्या १४.५.३ वेसास - विश्वास १.१२.७ [ विहाण वेह वेध (मह दोष ) १२.०.३ वेहीवसेण - विधिवसेण २.४.७; १३.११.१०; वोकण्ण - ( = एक वृक्ष ) १४.२.१० बोडाणा - मोटाना (मोट देशके निवासी ) ९.४.५ व्व - इव १.८.४; ६.१६.१३; ११.६.१० ० व्वय - व्रत १३.१४.६ सइ - सति ८.१०.१० सई - स्वयम् १.१४.८; १.१६.१०; २.७.९ -सयं १८, १८.१० — सयमेव स्वयं + एव ११.१०.३ सउण - शकुन ( = सगुन ) ८.११.३; १०.५.१ सउण - शकुनि ( = पक्षी ) १४.१.१४ स -- For Private & Personal Use Only सपुण्य ९.५.२ सउण्ण सउमणस - सौमनस ( = एक यक्ष ) १४.७.२ सउरी - शौरी (= एक पुर ) १७.१२.१९, १७.२३.५ संक - शंका ३.५.१; ४.९.७७.६.६. www.jainelibrary.org

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