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विषय-सूची
संधि
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बीसवें तीर्थंकर मुनिसुव्रत की वन्दना उपरान्त प्राणत स्वर्ग में जन्म लेना निर्माण का आदेश नगरी का निर्माण प्राप्त स्वर्ग के देव का रानी के गर्भ में सीकर के रूप में अवतरित होना। पांचों कस्यापकों का उल्लेख | वैराग्य हाथी का पूर्वभव-स्मरण मुनिसुव्रत का आहार ग्रहण करना । इन्द्र द्वारा ज्ञान की प्राप्ति केवलज्ञान की प्राप्तिद्वारा समवसरण की
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उनहत्तरी संधि
। हरि वर्मा का जिनदीक्षा लेना और मृत्यु इन्द्र द्वारा कुबेर को राजगृह में नगरी के
रानी सोमदेवी का सोलह स्वप्न देखना।
रचना चतुविध संघ का वर्णन मुनिसुव्रत को निर्वाण की प्राप्ति। हरिषेण का परित हैमाम का चरित मोक्ष की प्राप्ति ।
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राम कथा की प्रस्तावना राजा श्रेणिक का गौतम स्वामी से प्रश्न पूछना गौतम गणधर का कथा प्रारंभ करना मलय देश और रत्नपुर का वर्णन राजा प्रजापति चन्द्रचूल और विजय का जन्म राजपुत्र और मन्त्रिपुत्र के अत्याचार राजा द्वारा दोनों का घर से निष्कासन, मृत्युदन्ड का आदेश नीति कथन मंत्रियों द्वारा बोच1 बचाव। जैन मुनि का उपदेश । भविष्य वाणी चन्द्रनूल और विजय का निदान बांधना। दोनों का स्वर्ण में देव होना। काशी देश का वर्णन राजा दशरथ का वर्णन । स्वयंमूल और मणिचूल देवों का क्रमशः राम और लक्ष्मण के रूप में मुबला और कैकेयी के गर्भ में आना । बलभद्र राम और नारायण लक्ष्मण का वर्णन दशरथ का अयोध्या नगरी में प्रवेश भरत और शत्रु का जन्म मिथिला के राजा जनक हारा पशु-य और सीता के स्वयंवर में सम्मिलित होने का निमन्त्रण दूतों का उपहार लेकर आना मन्त्री अतिशयमति द्वारा यज्ञ का विरोध, राजा सगर का आख्यान राजा सगर का चारण-युगल नगर के राजा सुयोधन की कन्या सुलसा के स्वयंवर में जाना । रास्ते में छाय मन्दोदरी का विवाह के लिए भड़काना सुयोधन की परनी अतिथि का अपने भाई पिंग के पुत्र मधुपिंगल से कम्या के विवाह करने का प्रस्ताव सगर के मन्त्री की कपटचाल झूठा ज्योतिषशास्त्र बनाकर मधुवियल को अपमानित होकर
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ले जाने के लिए विवश करना उसका विरक्त होकर जिनदीक्षा ग्रहण कर लेना | निदान पूर्वक मरकर उसका स्वयं में असुर होना राजा सगर की धूर्तता जानकर उसके मन में प्रतिशोध की भावना का उत्पन्न होना
उसका
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