________________
70]
महाकवि पुरुपवत
खरि खेल्लति हसइ कहक हसय मरि मासासिणि दढगाहिणि सुणि देसी णिहिलदेसाहिय ससहावें लंपडि खरभासिणि धत्ता - अब्बु
विरचित महापुराण
सहइ पायपहरु विघल्लिउ करु । कयसाहस कुकम्मणिव्वाहिणि । इह मालवण होइ इच्छयसिव | वाणारसि संभव वणवासिणि ।
जा कामिणि मंथरगामिणि सा पहिलउं जि द ह । free trafia रहर संविधि पच्छइ सरकीलणु' करई || 7 ||
सिंधु पुणु पियगेयहुरप्पइ मायाबहुलु भाउ कोसलियह afafs" दंतणहछेहु सक्कइ ललियालावें लाडि लइज्जइ कालिंगी उवया पउंजइ' सोरट्टिय आउंबणी अवर महारट्ठी जर सीसइ
8
प्राणु' वि दक्षिणु वि दयहु अप्पद । भइ रइगुणेण सिंघलियहि । अंधिणि ब्भिररयहु चमक्कई । उडि रमण विष्णाणे भिज्जइ । रक्ख सुक्रुक् वि रंजइ । गुज्जरि णिच्चसयज्जहु लट्ठी 1 ता तहि धुतत्तणु पर दीसह ।
[71.7-6
10
5
करने वाली होती है। महिषी अपने भयंकर क्रोध रस का निर्वाह करने वाली होती है। खरी खिलखिलाती है, और ठहाका मार कर हंसती है। मारे गए हाथ और पैरों के प्रहार को भी वह सहती है। मयरी मांस खाने वाली मजबूत पकड़ वाली अत्यन्त साहसी तथा कुक्रमों का निर्वाह करने वाली होती है । हे अखिल देशों के राजा, देसी स्त्री को सुनिये । मालवी स्त्री अपना मतलब चाहने वाली होती है। स्वभाव से लंपट और अत्यन्त कर्कशबोलने वाली होती है। बनारस की स्त्रियां क्रीड़ा को चाहने वाली होती हैं ।
धत्ता-अर्बुद की जो स्त्री है, वह मंदगामिनी होती है, और सबसे पहले आदमी का धन हरण करने वाली होती है । और दिन की मर्यादा मानकर रतिसुख का संधान कर बाद में काम कीड़ा करती है ।।
(8)
सिंधु देश की स्त्री अपने घर में प्रसन्न रहती है । और अपने प्राण और धन दोनों ही अपने पति को अर्पित कर देती है। कौशल देश की स्त्री का भाव अत्यन्त मायावी होता है। सिंहल देश की स्त्री को रति गुण से ही पाया जाता है। द्रविड़ देश की स्त्री दांतों और नखों के क्षत को सहन कर सकती है । आन्ध्र देश की स्त्री परिपूर्ण रति से चौंक उठती है । मधुर आलाप से गुजरात की स्त्री शरमा जाती है। उड़ीसा की स्त्री का भेदन रमण-विज्ञान से ही किया जा सकता है। कलिंग देश की स्त्री उपचार का प्रयोग करती है। राक्षस, पुण्यात्मा और रूखे किसी का भी रंजन करती है । सौराष्ट्र देश की स्त्री चुम्बन से संतुष्ट होती है। गुजरात की स्त्री नित्य अपने काम में निपुण
2. AP मुणि। 3. A अच्छए। 4. AP सुरयकील ।
( 8 ) 1 AP संधवि 2 A पिमणेह P पियगेहहु । 3. AP पाणु 4 P घणेण । 5. AP दिविति । 6. AP अंणि 7. AP पवज्जइ । 8. AP सुक्ख । 9. P रुक्ख ।