Book Title: Mahapurana Part 4
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 284
________________ 254] महाकवि पुष्पयन्स विरचित महापुराण (6-10) यह कड़वक वात्स्यायन कामसूत्र के अनुसार स्त्रियों की विशेषताओं का वर्णन करता है। (11) 7a चन्द्रनखी या फिर शूर्पणखा। (15) .पण ती बाल की मंश की तुलना करती है कि क्या वह उसकी देह की गंध के समान है। 11 इस वसंत में कोयल भी बातूनी हो गई है। (18) 29 कंचुकी के रूप को धारण करते हुए। या फिर कंचुकिनी--एक वृक्षा। (20) Ja इससे लगता है कि जैनधर्म भी विधवाओं के सिरों के मुण्डन का अनुमोदन करता है। बहत्तरपी सन्धि (1) 1 उन प्रतिबंधों का परित्याग करते हुए, जिनका गृहस्थ को पालन करना चाहिए । जैसे स्वदारसंतोष । रावण अब सीताको पुष्पक विमान में ले जाता है। यह जैन गृहस्थ धर्म के प्रतिकूल है, क्योंकि सीता इसकी पत्नी नहीं है। उसे अभी तक इस तथ्य को जानकारी नहीं है कि सीता उसकी लड़की है । 1a रावण ने देखा कि यहां धन है, और भी एक पीज-सीता के यौवन का पुष्प । अगले कड़वक में इन दोनों की तुलना है। (4) हिरण की गति का एक सुन्दर चित्रण है। (5) 5a जो नीले या काले वस्त्र पहनते हों । बलदेव नीलाम्बर कहे जाते हैं, जैन और हिंदूदोनों पुराणों में। (8) 11-12 इन पंक्तियों का अर्थ है कि यदि में (रावण) इस स्त्री को छूता हूँ, जो असहाय है पर शीम संपन्न है तोबह विद्या जो मुखेमाकागातल में घुमाती है, छोड़ देगी। सीता की इच्छा के विरुद्ध रावण कुछ नहीं करना चाहता था क्योंकि ऐसी स्थिति में विद्या उसे छोड़ देती। (12) 4-6 ये पंक्तियो बताती हैं कि रावण अपंचक्रवर्ती है । तिहत्तरवों सन्धि (1) 3 तीन पीयें एक साथ हुई–राम ने इन में मृग का पीछा किया, सीता का अपहरण हुआ, और सीता की रक्षा करने वालों को गम्भीर दुख हुआ सीता के अपहरण के कारण । (2) 3b-6b ऐसा प्रतीत होता है कि जैन समाज अनुमोदन करता था कि विधवा स्त्री को साल साड़ी पहनना चाहिए, चूपियां फोड़ देना चाहिए और हार वगैरह नहीं पहनना चाहिए । (5) 9जन पुराणों के अनुसार, दशरथ जीवित हैं, जब रावण के द्वारा सीता का अपहरण किया जाता है। दशरथ ठीक उसी समय एक स्वप्न देखते हैं कि चन्द्र की प्रेमिका रोहिणी को राहू ले जा रहा है । इससे यह संकेत मिलता है कि राम पर भी इस प्रकार का संकट आना चाहिए। (6) जनार्दन अर्थात् लक्ष्मण के द्वारा 1 (7-8) 4 सुग्रीव और हनूमत् जो कि जैन विद्या के अनुसार विद्याधर थे, बानर नहीं । हनुमत् बीसवें कामदेव हैं । इसलिए उसका वर्णन मकरकेतु के रूप में है । (10) 39 फूल आदि लेकर प्रतिमा को अर्पित किए। जब भक्त मंदिर जाता है, तो वह उसका

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