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महाकवि पुष्पबन्त विरचित महापुराण
आया । परन्तु आगे बढ़ने के पहले यह नोट कर लेना जरूरी है कि जैनों और हिन्दुओं की रामायणों में राम और लक्ष्मण के चरित्रों के बारे में मूलभूत अन्तर यह है कि दशरथ के दो बड़े बेटे थे राम और लक्ष्मण । परन्तु राम का, जो जैनों के आठवें बलभद्र है, रंग गोरा था जबकि हिन्दू परम्परा में वेश्याम वर्ण के ये 1 इसी प्रकार हिन्दू परम्परा के गौर वर्ण लक्ष्मण का, गो जैनों के आठवें वासुदेव हैं, जैन परम्परा के अनुसार रंग श्याम था। इसके सिवा, जैनों के अनुसार वासुदेव होने के कारण लक्ष्मण ने प्रतिवासुदेव रावण का वध किया, राम ने नहीं। रामायण के दोनों वर्णनों की भिन्नत मालूम होती जाएगी जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते जाएंगे। 11- हमें ज्ञात सभी जैन वर्णन बताते हैं कि व्यास और वाल्मीकि ही, रामायण के पात्रों के बारे में गसत धारणाएँ फैलाने के लिए उत्तरदायी है। इस कथन से यह स्पष्ट है कि सभी जैन कवि, जिन्होंने रामायण के कथानक पर काश्य की रचना का प्रयास किया है, रामायण और व्यास के कथानकों से परिचित है, और वे सोचते हैं कि उन्होंने राम और लक्ष्मण के जीवन को एक दम नया रूप प्रदान किया है।
(4) 2-13 ये पंक्तियां राम और लक्ष्मण के तीसरे भव का वर्णन करती है। मलयदेश में रमपुर नगर है। उसमें प्रजापति नामक राजा था। उसकी रानी कांता ने एक पुत्र को जन्म दिया, उसका नाम चन्द्रचल था (जो आगे चलकर लक्ष्मण के रूप में होने वाला है)। विजय, जो राजा के मंत्री का पूत्र है, चन्द्रचूस का मित्र था।
(5) Sh से सुन्दर हथिनी से जन्मा हापी का बसचा, एक सुन्दर युवा हापी । एक गौतम नामक व्यापारी उसकी पत्नी वैश्रवणा से श्रीदत्त नाम का पुत्र था, श्रीदत्त का विवाह कुवेरदता से हुआ जो कुबेर की कन्या थी 10b कुबेरदस्ता के समान कोन स्त्री थी? कुबेरदत्ता से कौन स्त्री तुलनीय यी सुन्दरता में ? चन्द्रचूल ने बल से कुबेरदत्ता का अपहरण कर लिया।
(8) 4a दोनों पालकों (चन्द्रचूस और विजय) ने गंभीर पनि में कहा--पश्चात्ताप के स्वर में। के पोनों तीसरे भन्म में लक्ष्मण और राम होने वाले है।
(9) 9a तेजी या जल्दी में।
(10)4b छोटे मुनि (चन्द्रचून मोर विजय)। इनमें से बाचूल से, सुप्रभ सदेव और पुरुषोत्तम वासुदेष काभष देखकर यह निदान किया ! में भी उनके समान शक्ति को प्राप्त करू। 9-10 विजय सनरकुगार स्वर्ग में उत्पन्न हुआ जहाँ उसका नाम सुवर्णचल पा । चन्द्रचूस कमलप्रभ विमान में उत्पन्न हुमा और उसका नाम मणिचूल हुआ।
(11) यद्यपि राजा दशरथ पूरी घरती के मित्र थे, लेकिन दोषों के आकर नहीं थे। पन्द्रमा के समान, जो कुभूदिनियों का मित्र होता है और रात्रि का जनक होता है।
(12) नोट कीजिए कि राम (पूर्व जन्म के विजय और स्वर्णचूल) वाराणसी के (अयोध्या के नहीं) राजा दशरथ के पुत्र हैं, जो सुबला रानी से (कोसस्या से नहीं), फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी, मघा नक्षत्र (पत्र शुक्ल नवमी नहीं) में हुए और लक्ष्मण (पूर्वजन्म का चन्द्रचूल और मणिचूल) कैकेयी का पुत्र है (मुमित्रा का नहीं) और माघ शुक्ल प्रतिपदा को विशाखा नक्षत्र में उसका जन्म हुआ। यह इसके अनंतरही हुआ कि राजा दशरथ अयोध्या गये जिसका कि 14 (66) में वर्णन है।
(16) 14 राजा सगर यज्ञ करके स्वर्ग पहुंचते हैं। सगर की जो कहानी जैनों में प्रचलित है, उममें यज्ञ का उल्लेख नहीं है । 5b सिसु अर्थात् राम ।
(20) 10 पिंगलु अर्थात् मधुपिंगल-तणपिंगल और अतिथिदेवी का पुत्र ।
(28) नारद अम का अर्थ तीन वर्ष का जौ (यव) करते हैं। जैनों के अनुसार यह अज का प्रसिद्ध अर्थ है।