Book Title: Mahapurana Part 4
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 283
________________ अंगरेजी टिप्पणियों का हिन्दी अनुवाद [233 (33) 8-9 ये पंक्तियां गोस्पर्श, पिप्पलस्पर्श आदि का वर्णन करती हैं, अन्धविश्वासों के अनुसार । परन्तु कवि का कहना है कि यदि ऐसे लोग पुण्य की योग्यता पाते हैं तो बैल जो गाय का स्पर्श करता है, और कोआ जो पीपल के पेड़ पर बैठता है, दोनों को देव होना चाहिए। सत्तरवों सन्धि (1) 11a-b ये तुम्हारे दोनों पुत्र आठवें बलदेव और बासुदेव हैं । जैसा कि मैंने पुराणों में सुना है, ये शलाकापुरुषों में स्थान पाएंगे। (2) यह कड़क और इसके बाद के दो कड़वकों में रावण की पूर्व जन्मों की कथा कही गई है। नागपुर नगर में नरदेव नाम का राजा था । उसने संसार का त्याग कर तपस्या की । एक विद्याधर को देखकर उसने निदान किया कि उसका भाग्य भी उस विद्याघर के समान हो। वह सौधर्म स्वर्ग में इन्द हमा। विद्याधरों के नगरका राजा सहस्रग्रीव अपने संबंधियों से नाराज हो गया। वह झगड़ा करके, त्रिकूट पर्वत पर चला गया। वहाँ उसने संका नगर का निर्माण किया। उसके बाद शालग्रीव आया, और तब पंचाशग्रीव । उसका पुत्र पुलस्ति था, जिसकी पत्नी मेघलक्ष्मी ने दशग्रीष को जन्म दिया। उसने मंदोदरी से विवाह किया जो मय की कन्या थी। (6) 7a-b इस पंक्ति का अर्थ है कि मणिक्ती विचलित हो गई जब वह बीजाक्षर मंत्र का ध्यान कर रही थी। उसने सोचा कि राषण यद्यपि विद्याधर है, राक्षस के चिल्ल रखता है। 8a-b मणिपती ने यह निदान किया कि वह अगले जन्म में उसका पिता हो । यह उसे जंगल में ले जाए, और वह उसके कारण मृत्यु क प्राप्त हो । यही मणिवती मगले जन्म में सीता बनती है। (8) 1b उसके होने पर दूसरी कन्या होगी। यदि रावण जीवित रहता है, तुम्हें (मन्दोदरी को) दूसरी कन्या होगी। मारीच ने सीता के परित्याग की बात कही क्योंकि उसके कारण परिवार पर निश्चित रूप से संकट आएगा। (9) 11 राम और रावण के बीच कलह का कारण । (12) 3a राम के ससुर का नगर मिपिला । (13) 9 राम ने सात दूसरी कन्याओं से विवाह किया, 10 लक्ष्मण ने सोसह दूसरी कन्याओं से विवाह किया । ध्यान दीजिए; जैन पौराणिक परंपरा में राम की एक नहीं, आठ पत्नियां थीं। (16) 6b जाणेवा (ज्ञातव्या) इस रूप के लिए देखिए हेमचन्द्र iv. 438, इकहत्तरवों सन्धि (1) नारद धरती पर परिभ्रमण करते हैं—यह जानने के लिए कि कहीं लड़ाई हो रही है या लड़ाई होने का अवसर है। नारद को यह विशेषता हिंदू पौराणिक परंपरा में ज्ञात है। यहाँ यह लड़ाई कराने के लिए राषण के पास पहुंच रहा है । (2) 6 b परन्तु एक अर्थात् राम यश प्राप्त करना चाहते हैं आपको जीतकर । (5) 6. अपनी भयंकर भुजाओं से, जो पर्वत-शिखरों को हिला सकती हैं। यह संदर्भ उस विश्वास से संबद्ध है कि रावण ने कैलाश पर्व को हिला दिया था है अपनी भुजाओं से ।

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