Book Title: Mahapurana Part 4
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 237
________________ 78. 26.8] महाकइ पुप्फवंत-विरहमत महापुरान धरियई उप्पर वण्णविचित्तइं पविलंबियउ पडायउ दीहउ पसरिय चंदोवय णं खलयण' बासलिलधारहिं वरसंति व त्ता - हवं कट्ठे घडियउ चम्में मढियउ परकरताडणु जं सहमि । " एवं सुजुत्तरं पडहें वुत्तरं तं दसासु महिवइ महमि ||25| 1 दुक्खवेल्लिपसाई व छत । णावर सोयमहातरुसाहउ । थिय बंधव काला णं णवधण । तुरहं दहभिण्णा रसंति व । 26 दुबई एमहिं तेण मुक्कु किं वज्जमि वज्जमि परणरिदहं । खणरामचंदग्गीवहं णील महिंदकुंदहं ॥ छा । रत्तणं विरहग्गे तत्तउ बहु कालाउ तुरुतुरियउ भइ संखु अणा ण णीवमि वंसु भणइ हजं काणणि पइसभि डझ मद्दलु कूरें गज्जइ कलहं मज्झिणिवेसिउ उत्तमु णं स्यंति वित्यारियवत्तउ । सद्द मुयंति जीउ णं तुरियउ । परसासाऊरिज' किं जीवमि । छिद्दवंतु मुइ सामिण विरसमि । पहुमरणि व भोयणि उ लज्जइ । परकल त्तहरणे णासिउ कमु । 5. A युज्जण । 6. A र्त एउ ण जुत्त [207 10 13 पत्तों के समान छत्र रख दिए गए। लम्बी पताकाएँ लटका दी गई। जैसे वे लोकरूपी महावृक्ष की शाखाएँ हों। चंदोवा दुष्टजनों की तरह फैला दिया गया। बंधुजन इस प्रकार स्थित थे, मानो वाष्पजल ( अश्रु ) धाराओं से बरसते हुए काले नवघन हों । दुःख से आहत के समान तुर्य बज रहे थे । 5 घत्ता — काठ का बना तथा चमड़े से मढ़ा गया में जो दूसरों के हाथ का ताड़न सहता हूँ, यह ठीक नहीं है - मानो यह पटई ने कहा, मैं रावण महीपति की पूजा करता हूँ । ( 26 ) 1.P किए। 2. Pomits वज्जमि । 3. P " सासाकरि । (26) इस समय मैं उसके द्वारा छोड़ दिया गया हूँ, अब क्या बजूं ? मैं शत्रु राजाओं लक्ष्मण, रामचन्द्र, सुग्रीव, नील, महेन्द्र और कुंद को छोड़ देता हूँ । वह लाल था, मानो विरहाग्नि से संतप्त हो। मानो अपना मुँह फैलाकर रो रहा हो । बहुत से वाद्य तुरतुर छोड़ते हैं, मानो जल्दी-जल्दी अपने प्राण छोड़ रहे हों। शंख कहता है कि मैं अनाथ जीवित नहीं रहूँगा। दूसरे के प्रश्वासों से अनूरित होकर क्या जीवित रहूँ ? बंश (बाँसुरी) कहती है कि मैं कानन में प्रवेश करूँगी। छिद्रों सहित होते हुए भी, मैं स्वामी के मरने पर नहीं बजूंगी ! मर्दन ( मृदंग ) में आग लगे, यह दुष्टता से गरजता है। स्वामी के मरने पर भी भोजन से लत नहीं होता। उस श्रेष्ठ को लकड़ियों के बीच रख दिया गया । परस्त्री के हरण से उसका कुलद्रुम नष्ट हो गया। आग दे दी गई। ज्वालाओं से अग्नि टेढ़ी जाती है, मानो

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