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दुसत्तरिमो संधि
सर्ल मारीयएण पह मुक्कदेसजइसंजमु ।। पुष्फविमाणे थिउ गउ सीयहरणकयउज्जमु ॥ध्र वकं ।।
कामबाणोहविद्धण मुद्धण णो कि पि आलोइयं ता विमाणं विमाणे णहे राइणा तेण संचोइयं । तारयाऊरियायाससंकासबद्ध ज्जलुल्लोवयं कटाविसदसवटारगंगागासागयं । चारुचंदक्कभाभारि माणिक्कसमुक्कझुबुक्कयं' वाउधुव्वतकेऊलयालोलगाइण्णदिच्चक्कयं । तुंगसिंगगणिभिण्णणीलब्भसच्छंबुधारोल्लियं बोमपोमायरे हसवतम्मि पोमं व पप्फुल्लियं । दिण्णधूर्व रयक्खं गवक्खंतलंबतभिगंचिय'
बहत्तरवीं संधि
जिसने मुनि के एकदेश संयम (अणुवत) को छोड़ दिया है, तथा जिसने सीता के अपहरण का उद्यम किया है, ऐसा स्वामी रावण, पुष्पक विमान में बैठकर मारीच के साथ गया।
कामबाणों के समूह से आबद्ध उस मुर्ख ने कुछ भी नहीं देखा। उस राजा ने निःसीम आकाश में अपना विमान चला दिया। जिसमें तारकों से भरित आकाश के समान उज्ज्वल वितान बँधा हुआ है, स्वर्ण घंटाओं की प्रसरित होती हुई टंकार से जिसने दिग्गजों को संत्रस्त कर दिया है, जो सुन्दर स्वर्ण-आभा को धारण करता है, जो माणिक्यों से निर्मित गुच्छों से युक्त है, जिसने पवन से आंदोलित ध्वज रूपी लताओं के हिलने से दिग्मंडल को आच्छादित कर दिया है, जो ऊँचे शिखरों के समूह से उद्भिन्न नीले मेघों के स्वच्छ जल की धारा से आर्द्र है, जो आकाश रूपी सरोवर में कमल की तरह खिला हुआ है, जिसे धूप दी गई है, जिससे धूल नष्ट हो चुकी है, जिसके गवाच्छों के निकट भ्रमर समूह लगा हुआ है । पक्षी, सिंह, सारंग और मातंगों
(1) 1. P"विवाणे । 2. P सीयाहरण । 3. AP माणिक्फणिमुक्क । 4. A हसवतम्मि 1 5.P च पुप्फुल्लियं । 6. AP गवक्खंतलागत।