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महाका-पुप्फपत-विरतपउ महापुराण भत्ता-ता सत्ति वओहरु णीसरिउ आविवि कण्णविवरक्खरउ ॥
आहासइ बलणारायणहं रिउदुम्क्यणपरंपरउ ।।3।।
ता चिताविडमणि रामर
लिहि अण्प् वि वायवेउ । एक्कु जि रवि अण्णु जि गिंभयालु एक्कु जि तमु अण्णु जि मेहजालु । एक्कु जि हरि अण्णु जि पक्खरालु एक्कु जि जमु अण्ण जि पुण्णकालु । एक्कु जि विसि अण्णु जि सविसदिष्टि एक्कु जि सणि अण्णु जि तहि मि विट्ठि । एक्कु जि दहमुहु दुद्धरु विरुद्ध अपणेवकु तहिं जि बलिपुत्तु कुद्ध । मित्तयणु खीणु बलवंत सतु पाणिठ्ठ सुठ्ठ हित्तउ कलत्तु । विरइज्जइ एवहि कवणु मंतु पउ कुसलकारि एक्कु वि जियतु । ता विहसिवि बोल्लइ वासुएउ कि दीव जिणंति दिणेसतेउ। केसरिकिसोरु कि मग छिवंति ते जगि जियंति जे पई णवंति । असमंजसु सज्जणपाणहारि परमेसर पच्छा कोवकारि।
10 सुहडत्ताणंदियसुरवरालि
अच्छउ रावणु ता हणमि वालि। पत्ता-मई कुइइ रणंगणि ओत्थरिए भीक महागिरिकंदरहु ।।
मा चितहि राहव किं पि तुई सूर जति जममंदिरहु ।।4।। पत्ता-सब शीघ्र ही दूत निकला और आकर उसने कानों को विपरीत लगने वाले अक्षरों से युक्त शत्रु की दुर्जन शब्द-परंपरा राम और लक्ष्मण से कहीं।
तब रामदेव ने अपने मन में विचार किया कि एक तो आग है, और फिर वायु का वेग ; एक तो रवि और फिर ग्रीष्मकाल । एक तो अंधकार और फिर मेघजाल; एक तो अश्व और दूसरा कवच पहिने हुए; एक तो यम है और दूसरे पूर्ण आयु; फिर एक तो सांप और विष सहित दष्टि; एक तो शनि और दूसरे वह आंधी वर्षा है । एक तो दुर्धर रावण विरुद्ध है, और दूसरे बलिपुत्र (बालि) ऋद्ध है । मित्रजन दुर्बल है, शत्रु बलवान् है। प्राणों के लिए इष्ट कलत्र का अपहरण कर लिया गया है। इस समय कोन-सा मंत्र करना चाहिए? जीतने वाला और कुशल करने वाला एक भी नहीं है। तब लक्ष्मण हंसते हुए बोले-दीपक क्या दिनकर के तेज को जीत सकते हैं ? सिंह के बच्चे को क्या मुग छू सकते हैं ? वे ही जग में जी सकते हैं कि जो तुम्हारे चरणों में प्रणाम करते हैं। सज्जनों के प्राणों का अपहरण करने वाला और बाद में पश्चात्ताप करने वाला वह अनुचित है । हे परमेश्वर रावण तो रहे, पहिले मैं अपने सुभटत्व से सुरवर श्रेणी को आनंदित करने वाले बालि को ही मारूंगा।
धत्ता-युद्ध के प्रागंण में कुल होकर मेरे उछलने पर, डरपोंक गिरिवर की गुफाओं में और देव यम के घर में जाते हैं । हे राम, आप कुछ भी चिंता मत करिए। 7. Pायण्णिवि कण्णविराबरत; T सुइविवर' श्रोत्रानिष्ट ।
(4) 1. P एक्क वि 1 2. A विसु ! 3. AP मिग । 4. A सुरवभालि ! 5.4 कुछ; P एम।