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छहत्तरिमो संधि
राहवलक्खर्णाह जयजयघोसेण जयाण ।। उप्परि दहमुहह आरूसिवि दिण्णु पयाणउं ।। ५. .
मलयमंजरी'- उदुिओ रउद्दो विविहतूरसहो भगवइरिधीरो' 11
चलियतहमा सुन्याहगाणं कलयलो गहोरो॥छ।। संचल्लंति रामि महि कंपइ । धरभरणामउ ण फणिवइ जंपइ ! गयपयकुडिय कुहिणि मयपके दुग्गम भावइ कमजणसंके। रह रहंगगइदारियविसहर
महिहर दलिय मलिय मय वणयर । पवणवसेण बलिय विलुलियधय हृयमुहणसलिलपसमियरय । वरभडथडचुण्णीकयमहिरुह
सेण्णाउण्ण सगयणासामुह । सोसिय सरि सर णिसुढिय जलयर असिविप्फुरणगसिय ससिदिणयर। 10
छिहत्तरवीं संधि
राम और लक्ष्मण ने अय-जय घोष के साथ दशमुख पर कुद्ध होकर जयशील प्रस्थान किया।
जिसने शत्रु का धर्य नष्ट कर दिया है, ऐसा विविध सूर्यों का शब्द तथा चलती हुई सेनाओं और अश्व-वाहनों का गंभीर कल-कल हुआ।
राम के चलने पर सेना काप उठती है। धरा के भार से नमित नागपति कुछ नहीं बोलता । हाथी के पैरों से क्षुब्ध मार्ग लोगों को शंका उत्पन्न करने वाली मद-पंक से दुर्गम प्रतीत होता है। रथों के चक्रों की गति से विषधर कुचले गए। पहाड़ चूर हो गए । मृग और वनघर मर्दित हो गए। हवा के कारण ध्वज मुड़ गए और फट गए । घोड़ों के मुख के फेन रूपी जल से धूल शांत हो गई। श्रेष्ठ योद्धाओं की घटाओं से महोरह (वृक्ष) चूर्ण-चूर्ण हो गए। आकाश सहित दिशाओं के मुख सेना से अपरित हो गए। नदियों और सरोवरों का पानी सूख गया। जल
(1) 1. AP मलयमंजरी णाम । 2. AP "वरिवोरो। 3 P has कयपसाहणार्ण before चलिए; Kgives कयपसाहणाणं in margin and in second hand | 4. A संचल्लतरामें। 4. AP खुखिय'; K gives खुहिता दाasp 6. AP चलिय ।