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76,10. 12]
महाका-पुष्फपत-बिरइया महापुरागु
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घत्ता-भरहें लक्खणेण सह सीरपाणि अवलोइउ ॥
तेणंजणहि सुउ सियपुप्फयंतु पोमाइउ ।। 10॥
इय महापुराणे तिसद्विमहापुरिसगुणालंकारे महाभब्वभरहाणु मष्णिए महाकइपुप्फयंतविरइए महाकवे गंदणवणमोडणं लंकाडाह
णाम सहारिलो परिभो समतो ।।
पत्ता-भरत ने लक्ष्मण के साथ राम को देखा। उन्होंने सूर्य और चन्द्रमा के समान अंजनापुत्र (हनुमान्) की प्रशंसा की।
सठ महापुरुषों के गुणालंकारों से युक्त महापुराण में महाकवि पुष्पदन्त द्वारा विरचित एवं महाभध्य भरत द्वारा अनुमत महाकाव्य में नंदन-वन मोड़ने
और लंकादाह नाम का छिहत्तरवा परिसछेद समाप्त हुआ।
8. Pomits लगाया।