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130] महाकवि पुष्पबन्त विरचित महापुराण
[74. 4.9 एविकल्लज मल्लउ सेल्लवहि रणि सरजालंचियसदिसवहि। सहउ सूरूउ गंभीरु थिरु
पडिवण्णसूरु तेयंसि णिरु। णि छुरहं वि उप्प इयपणउ यिमियमहुरक्ख रजपणउ। किं वण्णमि सहयरु अप्पणउ दूयत्तजोमगु अजणतणउ । ता रामें सेचियणेहरसु
पुरिसुण्णउ पोरिसकणयकसु। सुगीउ बंधु बुद्धिइ गहिउ विज्जाहररायत्तणि णिहिउ । पत्ता-बंधिवि पट्ट सिरि हणुवंतु कियउ सेणावइ ।।
15 जोत्तिउ दूयभरि पुणु सो ज्जि धवलु णिह्यावइ ।।।
5 हेला-दिण्णा राहवेण हगुयस्स खयरंगया' ।।
रविगयविजयकुमुयपवणवेयया सहाया ।।छ। गस्यारइ मंतिकज्जि थविउ बलह - मारुइ सिक्खविउ। जाएग्जसु भवणु विहीसणहु परिपालियखत्तियसासणहु । बोब्लेज्जसु मिट्ठउ कि पि तिह अप्पावइ सीयाएवि जिह। जइ सामें देइ ण दहवयणु तो पुणु भणु दंडु चंडवयणु । अम्हहुँ' विवरोक्खइ आवडिय ललियंग चित्तवित्तिहि चडिय । अण्णाणे रइरहसेण णिय
भण्णइ अप्पिज्जा रामपिय । सिंह के समान जो असह्य कांतिबाला है, तथा भालों से युक्त सरजाल से जिसमें दिशाओं सहित पथ आच्छादित है ऐसे रण में जो अकेला ही भला है : जो गंभीर, सुभग, सुन्दर और स्थिर तथा स्वीकार की गई वस्तु में शूरवीर, अत्यन्त तेजस्वी, अत्यन्त निष्ठुर, लोगों में प्रणय उत्पन्न करने वाला, हित मित मधुर वाणी बोलने वाला है, ऐसे अपने सहचर का क्या वर्णन करूं? हनुमान दूतत्व के योग्य है। जिसमें स्नेह रस संचित है, जो पुरुषों में उन्नत है, जो पौरुष रूपी स्वर्ण को कसने वाला है, ऐसे सुग्रीव बंधु को राम ने बुद्धि से ग्रहण कर लिया, और विद्याधर राजा के पद पर उसे स्थापित कर दिया।
___घत्ता–सिर पर पट्ट बाँध हनुमान को सेनापति बना दिया । आपत्तियों को नष्ट करने वाले और श्रेष्ठ उसी को फिर से इतकार्य में जोत दिया।
राम ने रविगति, विजय, कुमुद तथा पवनवेग आदि विद्याधर हनुमान के साथ कर दिए।
राम ने हनुमान को महान् मंत्री कार्य में स्थापित किया और उसे सीख दी-तुम क्षत्रिय शासन का परिपालन करने वाले विभीषण के घर जाना और उससे मीठा-मीठा कुछ इस प्रकार बोलना कि जिससे वह सीता देवी सौंप दे। यदि रावण साम से सीता देवी को नहीं सौंपता, तो दंड प्रचंड वचन कहना कि हमारे परोक्ष में तुम आए और चित्तवृत्ति पर चढ़ी हुई सुन्दरी को रति के हर्ष से अन्याय पूर्वक ले गए। तुमसे कहा जाता कि राम की प्रिया अर्पित कर दो। लक्ष्मण 4. AP एक्कल्लउ । 5. AP विहित
(5) 1. AP सयरराया। 2. AP रविग 1 3. कुमुयबलवेयया । 4. AP बलभद्दे । 5. A भुवणु। 6AP चंडदंडववणु। 1.A भम्हई।