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70. 21.9]
महाका-पुप्फयत-बिरायड महापुराण पत्ता-दसकंधरु दुद्धरु धरियधर सेयविहूसियदिसबहु ।।
जहिं अच्छइ भरध रत्तिवई' पुप्फयंतसंकावहु ।।2111
इय महापुराणे तिसट्टिमहापुरिसगुणालंकारे महाभब्वभरहाणुमण्णिए महाकइपुप्फयतविरइए महाकव्वे सीयाविवाहकल्लाणं णाम
सत्तरिमो परिच्छेओ समतो।। 70 ।।
पत्ता सेज से दिशापथों को विभूषित करनेवाला धरती को धारण करनेवाला रावण जहाँ था, वहीं सूर्य और चन्द्रमा के भय को उत्पन्न करनेवाले भारत में धरती के अधिपति राम भी थे।
सठ महापुरुषों के गुणालंकारों से युक्त महापुराण में महाकवि पुष्पदन्त द्वारा बिरचित एवं महाभब्य भरत द्वारा अनुमत महाकाव्य का सीता-विवाह
पाल्याण नाम का सत्तरवां परिच्छेद समाप्त हुआ।
6.Aधीरयकरु। 7.AP°धरित्तिवह।