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71. 2. 10]
महाकपुरकस- चिरइयउ महापुराणु
पुच्छिउ पहुणा परमणसूलउ तं सुणिवि संगामपियारज
कहि बस को महु पडिकूल । आहास दहगीवहु णारउ ।
धत्ता - सुरगिरिसिरि णिवस महिहि ण विलसई संबद वणयहु तणउं धणु ॥ सिद्दिण पावइ सयमहु भावड़ णावइ तुज् ञिभीयमणु ॥ ॥ ॥ ॥
सिहि णं करइ तुहारडं भाणसु मेरिज णेरियदिस ता संभइ रयणायक जं गज्जड़ तं जडु वाउ बाइ किर तुह णीसासें चंदु सूरु किर तुह घरदीवउ
सुरु गरुख जगु तुह बी दसरतण मुसलहलपहरणु परबलपबलसलिलवडया मुहु लक्खणु सुड लक्खविक्खेवणु are horror विणउं
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डहु बद्दवसु वद्दरिहिं तुहुं वइवसु । जाव ण तुज्झु पयाज वियंभइ । तुहुं जि एक्कु तइलोक्कि महाभडु | बइ फणिवर तुह फणिपायें । सीहु वराउ वसउ वणि सावज । पर पई जिणिवि एक्कु जसु ईहह । दूरमुक्कपररमणीपरहृणु । जासु भाइ रणरसवियसियमुहु । अण्णु वि 'जासु परपणत्थणु । तासु रूवि थिउ विहिणे उष्णजं ।
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स्वागत किया। गुरु भक्ति के साथ आसन पर बैठाया। राजा ने दूसरों के मन के लिए शूल के समान उससे पूछा- यह बात बताइए कि कौन मेरे प्रतिकूल है ? यह सुनकर जिसे संग्राम प्यारा है, ऐसा नारद रावण से कहता है.
पत्ता - यद्यपि इन्द्र सुमेरु पर्वत के शिखर पर रहता है, वह धरती पर शोभित नहीं होता । वह कुबेर का धन संचित करता है, फिर भी रात को उसे नींद नहीं आती। ऐसा मालूम होता है जैसे तुमसे भीत मन उसे अच्छा नहीं लगता ।
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आग तुम्हारे यहाँ मानो रसोइये का काम करती है। यम दग्ध हो जाए, तुम शत्रुओं के लिए यम हो, नैऋत्य नैऋत्य दिशा को रोकता है तब तक कि जब तक तुम्हारा प्रताप नहीं फैलता । समुद्रो गरजता है वह मूर्ख है, क्यों कि तीनों लोकों में एक तुम्हीं महासुभट हो। तुम्हारे, निश्वास से हवा चलती है । तुम्हारे नागपाश में नागराज बंध जाते हैं। सूर्य और चन्द्रमा तुम्हारे घर
दीपक हैं। सिंह बेचारा बन में निवास करता है और श्वापद भी । देवताओं और मनुष्यों सहित खग और जग तुमसे डरता है, लेकिन एक आदमी ऐसा है कि जो तुम्हें जीतने की इच्छा रखता है । दशरथ का बेटा, हाथ में मूसल का हथियार रखनेवाला, पररमणी का परिहार करनेवाला ( राम ) और जिसका भाई शत्र ु सेना के प्रबल पानी में बडत्राग्नि के समान है, और जिसका मुख वीर रस से विकसित है ऐसा लक्ष्मण लाखों योद्धाओं को क्षुब्ध करने वाला है, और भी जिसे राजा जनक ने अपनी विशाल पीन स्तनों वाली बाला प्रदान की हैं, जिसके रूप में विधाता का नैपुण्य स्थित है ।
(2) 1 AP परियदेसि। 2. AP हि । 3 AP पोणपीवरथणु। 4. AP ताहि ।