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महाकवि पुष्पदन्त विरचित महापुराण
[69. 5.1
तरुणीकडक्खोहविक्खेवमूढाइ जोव्वणसिरीए सरीराहिरूढाइ । णिण्णद्वदप्पिणिविकटतुट्टीइ घोराण जाराण चोराण गोट्ठी । णं तावसा के वि अरहंतदिक्खाइ ते बे वि ण चरंति रायस्स सिक्खाइ । अन्जाम तम्हारे त मरिन गिद्धगा दिण्णबहुदविणणियरम्मि । गोसमवणिदेण वइसवणरिणीद जायस्य कलहस्स णं चारुकरिणीइ। 5 विण्णाणवंतस्स संसारसारस्स सिरिदत्तणामस्स वणिवरकुमारस्स। करधरियभिगारचुयवारिधारेण णियधीय रमणीय दिण्णा कुबेरेण । बालेण बालालयं झत्ति गंतूण णमिण' जय देव देव त्ति वोत्तण। केणावि पावेण रइरहसजुत्तीइ रूवं वरं वणियं वणियउत्तीइ । रेहतराईवदलदीहणेत्ताइ
ती संणिहा का कुबेराइदत्ताइ। 10 तं सुणिवि सिरुधुणिवि विद्वत्थधम्मेण' संचरिवि वियडं तुरं कूरकम्मेण ।। वणिभवणि पइसरिवि बहुसहसहाएण' हित्ता कुमारी धरणाहजाएण । रोवंति वेवंति वरइत्तहत्याउ णट्ठाउ णारीउ विलुलंतवत्थाउ । पत्ता-णिव परिताहि भणंत पुरि अण्णाउ कुमारहु ।।
गय तरुसाहाहत्थ वणिवर रायदुवारहु ॥5॥ 15
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युवतियों के कटाक्षों-समूह के विक्षेप से मूढ़ यौवनश्री के शरीर पर अभिरूढ़ होने पर (युवक होने पर) तरुणियों के कटाक्षों के विक्षेप से विवेकशून्य, शरीर को आक्रान्त करने वाली यौवन रूपी लक्ष्मी, नष्ट दर्प से भरी निकृष्ट तुष्टि तथा भयंकर विटों और चारों ओर की गोष्ठो (संगति) के कारण वे दोनों, राजा की शिक्षाओं का आचरण नहीं करते थे। उसी प्रकार, जिस प्रकार कोई तपस्वी अरहत की शिक्षा का आचरण नहीं करते। एक दूसरे दिन उसी नगर में, जिसमें निर्धन लोगों को प्रचुर धन समूह दिया गया है, गौतम सेठ की वैश्रवणा गृहिणी से पुत्र उत्पन्न हुआ मानों सुन्दर हथिनी से बच्चा उत्पन्न हुआ हो। विज्ञान से युक्त संसार में श्रेष्ठ श्रीदत्त नाम के उस वणिक कुमार को कुबेर नाम के सेठ ने हाथ में धारण किये गए भिगार के गिरते हुए पानी की धारा के साथ अपनी सुन्दर कन्या दो। किसी मूर्ख ने शीघ्र बालक चन्द्रचूल के घर जाकर जयदेव-जयदेव कहकर नमस्कार किया। तब रति के वेग से युक्त उस वणिकपुत्री के श्रेष्ठ रूप का वर्णन किया। शोभित कमलदल के समान दीर्घ नेत्रों वाली कुबेर दत्ता के समान कोई भी स्त्री नहीं है। यह सुनकर धर्म को ध्वस्त करनेवाले उस क्रूरकर्मा चन्द्रचूल ने अपना सिर पीटा और शीन ताबड़-तोड़ जाकर सेठ के घर में प्रवेश कर अनेक समर्थ सहायों के साथ उस राजा के
15) 1. A कहक्लेवविश्खोह P "कडक्खोहविक्खेय 2. A बुद्धीद। 3. AP ता वासरे। 4. A विऊण । 5. A श्री संणिहा । 6. A विद्वत्थकामेण । 7. A "सहावेण । 8. P हाउ । 9. AP
भयंता ।