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- लब्धिसार शुद्धिपत्र -
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हता
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पृष्ठ पंक्ति
शुद्ध | पृष्ठ पंक्ति
अशुद्ध ३. प्रध:प्रवृत्तकरण अषःप्रवृत्तकरण
निष्टापक
निष्ठापक होता
२०
सलिये चौतिस
इसलिये चौतीस ६७ १२ संशयिक
सांशयिक गग्गोषबज्जारा ए रणग्गोचवज्जणाराए
१७ १६ चउतीसा
चोतीसा
प्राप्त हो जो प्रसंप्राप्तासंपाद
प्राप्त होकर हो
इन्छ जीय १४ ११ चोदस
बग्ध के भजतीय चोदस
यह विप ५ वर्षभ
यहां विशेष वज्रर्षभ
१०३ १६ अनन्तरकाल १५ १२-१३ असंप्राप्ता
अन्तरकाल असंप्राप्त
१०३ २० प्रारम्भ १६ १४ बंभति
चालू बंचंति
१०४ ८ १८ २७ ज.प.पु.पृ. २११ ज.ध.पु. १२ पृ०२११
स्थितिधता उद बतलाया
स्थितिवात उदय बतलाया
१०८ १९ अनिवृत्तिकरसा वाला अनिवृत्तिकरण २४ २१ प्रजहण्यमणुक्कस्स्प्पदे भजहण्णमणुक्कस्स
परिणाम वाला मदे | ११३ २० प्रायु कम का
मायु कर्म का २८ १३ अपुष्वमगिट्टियं ।। अपुब्वमरिणयट्टि ।
कर्मों की
कर्मों के गुरुपदेश गुरूपदेश ११५ १६ । स्थितिकर्म
स्थिति सत्कर्म उवाक
उर्वक ११५ २३
पल्पोप प्रमाण पल्यापम प्रमाण ३४ १. भाकर्षमनुष्टिः अनुकर्षणमनुकृष्टि वन्डका खण्ड का [ ११८ १७ गुसासे द्वि
गुणसेडि १३ प्रतिभाव है प्रतिभाग है। अवस्थिति
भवस्थित प्रपणा प्ररूपया १२६ १४ गुरसेविसंखभाग
गुरासे दिसंखमांगा ४३ १० अन्तरोपनिया का अनन्त रोपनिया का
१२७ १ मक्त मिरूपण
निरूपित १३० ७ उदयाद
उदयादि बद्रव्यावलि बद्ध द्रव्य प्रावली
उदयहि
उदयहि एक भाव को एक भाग को
खविदे मध्वान
अध्वान
१४० ५ पपचावनुपूर्वी पश्चादानुपुर्वी निकभामाहार निषेकभागहार १४५ ७
प्रमाण तथा चयहान
चयहीन
१५० २६ उससे अपूर्वकरण के उससे संख्यातगुणा भागाहार भागहार
प्रथम
अपूर्व करण के प्रथम
२.प्रतिपाद्यमान २ प्रतिपद्यमान स्थितिकर्म
स्थितिसलम
१५२ २४ असंख्यातगुण वृद्धि असंख्यात गुणवृद्धि प्रगावाला प्रमाण वाला
जाकर
काण्डक जाकर
2
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उक्त
२४
१३
खवदे
तथा
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