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________________ - लब्धिसार शुद्धिपत्र - T २. F • x 2.8 हता : 23 . - पृष्ठ पंक्ति शुद्ध | पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध ३. प्रध:प्रवृत्तकरण अषःप्रवृत्तकरण निष्टापक निष्ठापक होता २० सलिये चौतिस इसलिये चौतीस ६७ १२ संशयिक सांशयिक गग्गोषबज्जारा ए रणग्गोचवज्जणाराए १७ १६ चउतीसा चोतीसा प्राप्त हो जो प्रसंप्राप्तासंपाद प्राप्त होकर हो इन्छ जीय १४ ११ चोदस बग्ध के भजतीय चोदस यह विप ५ वर्षभ यहां विशेष वज्रर्षभ १०३ १६ अनन्तरकाल १५ १२-१३ असंप्राप्ता अन्तरकाल असंप्राप्त १०३ २० प्रारम्भ १६ १४ बंभति चालू बंचंति १०४ ८ १८ २७ ज.प.पु.पृ. २११ ज.ध.पु. १२ पृ०२११ स्थितिधता उद बतलाया स्थितिवात उदय बतलाया १०८ १९ अनिवृत्तिकरसा वाला अनिवृत्तिकरण २४ २१ प्रजहण्यमणुक्कस्स्प्पदे भजहण्णमणुक्कस्स परिणाम वाला मदे | ११३ २० प्रायु कम का मायु कर्म का २८ १३ अपुष्वमगिट्टियं ।। अपुब्वमरिणयट्टि । कर्मों की कर्मों के गुरुपदेश गुरूपदेश ११५ १६ । स्थितिकर्म स्थिति सत्कर्म उवाक उर्वक ११५ २३ पल्पोप प्रमाण पल्यापम प्रमाण ३४ १. भाकर्षमनुष्टिः अनुकर्षणमनुकृष्टि वन्डका खण्ड का [ ११८ १७ गुसासे द्वि गुणसेडि १३ प्रतिभाव है प्रतिभाग है। अवस्थिति भवस्थित प्रपणा प्ररूपया १२६ १४ गुरसेविसंखभाग गुरासे दिसंखमांगा ४३ १० अन्तरोपनिया का अनन्त रोपनिया का १२७ १ मक्त मिरूपण निरूपित १३० ७ उदयाद उदयादि बद्रव्यावलि बद्ध द्रव्य प्रावली उदयहि उदयहि एक भाव को एक भाग को खविदे मध्वान अध्वान १४० ५ पपचावनुपूर्वी पश्चादानुपुर्वी निकभामाहार निषेकभागहार १४५ ७ प्रमाण तथा चयहान चयहीन १५० २६ उससे अपूर्वकरण के उससे संख्यातगुणा भागाहार भागहार प्रथम अपूर्व करण के प्रथम २.प्रतिपाद्यमान २ प्रतिपद्यमान स्थितिकर्म स्थितिसलम १५२ २४ असंख्यातगुण वृद्धि असंख्यात गुणवृद्धि प्रगावाला प्रमाण वाला जाकर काण्डक जाकर 2 .2 उक्त २४ १३ खवदे तथा 2 - - - - -
SR No.090261
Book TitleLabdhisar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages644
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Karma, Philosophy, & Religion
File Size16 MB
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