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काम सरे सब मेरे देखे पारसस्वाम ॥ टेक ॥
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सपत फना अहि सीस विराजै, सात पदारथ धाम ॥ काम. ॥ १ ॥ पदमासन शुभ बिंब अनूपम, श्यामघटा अभिराम ॥ काम. ॥ २ ॥ इंद फनिंद नरिंदनि स्वामी, 'द्यानत' मंगलठाम ॥ काम. ॥ ३ ॥
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भगवान पार्श्वनाथ के दर्शन से मेरे सब मनोरथ, सब कामनाएँ सिद्ध हो जाती हैं, सफल हो जाती हैं ।
उनके मस्तक पर सातफणधारी सर्प हैं अर्थात् वे सात पदार्थ तत्वों के ज्ञानी हैं, उनके धाम हैं।
पद्मासन मुद्रा में आसीन उनकी यह प्रतिमूर्ति विम्ब उपमा से परे हैं, अत्यन्त सुन्दर है तथा काले मेघ की घटा के समान सुन्दर शोभित होती है, दिखाई देती हैं ।
सपत
वे इन्द्र, नागेन्द्र, नरेन्द्र, सभी के स्वामी हैं । द्यानतराय कहते हैं कि वे सर्व मंगल के धाम (घर) हैं अर्थात् सर्व मंगलकारी हैं ।
सात सप्त ।
द्यानत भजन सौरभ
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