Book Title: Dyanat Bhajan Saurabh
Author(s): Tarachandra Jain
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajkot

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Page 406
________________ (३२१) सुरनरसुखदाई, गिरनारि चलौ भाई॥टेक ।। बाल जती नेमीश्वर स्वामी, जहँ शिवरिद्धि कमाई॥सुर. ॥ १।। कोड़ बहत्तर सात शतक मुनि, तहँ पंचमगति पाई। सुर. ॥२॥ तीरथ महा महाफलदाता, 'द्यानत' सीख बताई।सुर.॥३॥ ...--..-- -.----.-:--.---.--...... - - अरे भाई! देवों व मनुष्यों को जो सुखकर है, सुख प्रदान करनेवाला है, ऐसे गिरनार तीर्थ की यात्रा करने चलो। उस गिरनार तीर्थ से बालब्रह्मचारी नेमिनाथ ने मोक्ष-गमन किया था। उस गिरनार तीर्थ से बहत्तर करोड़ सात सौ मुनि मोक्ष गए हैं । वह महान तीर्थ है और महा फलदाता है । इसलिए द्यानतराय यह सीख देते हैं कि भाई उस गिरनार तीर्थ की यात्रा को चलो। ३७२ द्यानत भजन सौरभ

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