Book Title: Dyanat Bhajan Saurabh
Author(s): Tarachandra Jain
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajkot

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Page 423
________________ ३०८ ३५६ १०० ११० १०२ ११२ ११५ ११७ २३३ ३४ २६८ १७२ २०२ १०३ १०४ १०५ २८६ २६९ ११८ ३३० ३७ ११९ ८७. चेतन खेले होरी ८८. चेतनजी तुम जोरते धन ८९. चेतन तुम चेतो भाई चेतन नागर हो तुम ९१, चेतन प्राणी चेतिए हो १२. चेतन मान ले बात ९३. चेतन मान हमारी बतियों ९४. चेत रे प्राणी चेत रे ९५. चौबीसों को वन्दना हमारी ९६. जग ठग मित्र न कोय रे ९७. जगत में सम्यक् उत्तम - ९८. जब वाणी खिरी महावीर की ९२. जय जय नेमिनाथ परमेश्वर १००. जाको इंद अहमिंद १०१. जानत क्यों नहिं रे १०२. जानो धन्य सो धन्य १०३. जानो पूरा ज्ञाता सोई १०४, जिनके भजन में मगन १०५. जिन जपि जिन जपि १०६. जिन नाम सुमरि मन बावरे १०७, जिन पाद चाहे नाहिं कोय १०८. जिनराय के पाय सदा शरनं १०९. जिनवर मूरत तेरी ११०. जिनवाणी प्राणी जान लै रे १११. जिन साहिब मेरे हो ११२. जिय को लोभ महा दुखदाई ११३. जिसके हिरदे प्रभु नाम नहि ११४. जिसके हिरदे भगवान बसे ११५. जीव ते मूढपना कित्त पायो ११६, जीव से मेरी सार न मानी ११७. जीव शू कहिये तनै भाई १०७ १०९ १७३ १७४ १७५ १७६ १७७ १७८ २८७ १७९ १२० १२२ २०३ २०४ २०५ २०६ २०७ २०८ ३३१ २०९ ३४४ २१० २११ २७० २७१ २७३ १८० २३६ २३७ २३८ द्यानत भजन सौरभ ३८९

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