Book Title: Dyanat Bhajan Saurabh
Author(s): Tarachandra Jain
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajkot
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३२६ ३८० २८४ ३२६ २७७ ३१९
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५७. करौं आरति बर्द्धमान की ५८. कलि में ग्रंथ बड़े ५९. कहत सुगुरु कर ६०. कहा री करे कित जाऊँ ६१. कहा री कहूँ कछु ६२. कहिबे को मन सूरमा ६३. कहुं दौठा नंभिकुमार ६४. कहे भरत जी सुनो ६५. कहे राघौ सीता ६६. कहे सीताजी सुनो रामचन्द्र ६७. काम सरे सब मेरे ६८. कारज एक ब्रह्म ही सेती ६९. काया, तू चल संग हमारे ७०. काहे को सोचत ७१. किसकी भगति किये ७२. कीजे हो भाइयनि ७३. कोढी पुरुष कनक ७४. क्रोध कषाय न मैं करो ७५. कौन काम अब मैंने ७६, कौन काम अब मैंने ७७, खेलौंगी होरी आये चेतनराम ७८. गलता नमता कब आवेगा ७९. गह सदा संतोष ८०. गिरनार पै नेमि विराजत है ८१. गुरू समान दाता नहिं कोई ८२. गौतम स्वामीजी मोहि वानी ८३. घट में परमातम ध्याइये ८४. चल देखें प्यारी नेमि नवल व्रतधारी ८५. चल पूजा कीजे बनारस ८६. चाहत है सुख पै न गाहत है
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९७ १०६ २२७ २६० २२८ २६२ १७० १९९
३३७ १७१ २०१ २९४ ३४० २२९ २६३
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धानत भजन सौरभ

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