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छठी आरती प्रतिमाधारी त्यागीजनों को कीजिए व इस प्रकार सन्मार्ग पर अग्रसर श्रावकों की वंदना कीजिए। यह आनन्ददायक है।
सातवी आरती श्री जिनवाणी की कीजिए। द्यानतरायजी कहते हैं कि ये सन्न ही स्वर्ग व मोक्ष-सुख के दाता हैं।
पंगल = कल्याणकारो।
धानस भजन सौरभ
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