________________
तीर्थकर नेमिनाथ गिरिनार पर्वत से, चम्पापुर से तीर्थंकर वासुपूज्य, पावापुर से मुनिनाथ श्री महावीर और कैलाश पर्वत से भगवान आदीश्वर मोक्ष गये हैं अत: इन सिद्धक्षेत्रों को नमन करो।
सम्मेद शिखर से बीस जिनेश्वर मोक्ष गए हैं। इन सिद्धभूमियों की सदैव, दिन-रात वंदना करो। स्वर्ग, नश्यलोक लोक में मिली भी कृतिक अकृत्रिम प्रतिमाएँ हैं उनकी तीनों काल अर्थात् सदैव पूजा करो।।
तीर्थकरों के पाँचों कल्याणकों के समय को नमन करो। केवलज्ञानमय आत्मा को नमन करो-ये छहों मंगलकारी हैं, उद्धार करनेवाले हैं, गुणों के धाम
चौबीस तीर्थंकर मंगल हैं। विदेह क्षेत्र स्थित सीमंधर आदि बीस तीर्थंकर मंगल हैं। उनकी दिव्यध्वनि मंगल है। रत्नत्रय की गुणमाल मंगल है। दशलक्षणधर्म व सौलहकारण भावनाएँ मंगल हैं । बारह भावनाएँ व चार प्रकार के संघ मंगल हैं।
श्री जिनराज की पूजा मंगल है । शास्त्रों का स्वाध्याय मंगल है । सज्जन पुरुषों का समुदाय और उनकी संगति मंगल है। सामायिक में मन लगाना मंगल है।
दान, शील, तप की भावना मंगल है। मोक्ष की कामना मंगल है । द्यानतराय कहते हैं कि इनका आठों प्रहर स्मरण मंगलकारी है। महान, मुक्ति के स्वामी, मोक्ष के स्वामी जिनेन्द्र मंगलकारी हैं।
मंगल • कल्याणकारी।
धानत भजन सौरभ