________________
यह कहकर सबसे क्षमा माँगकर, केश-लुंचन करके सीताजी ने दीक्षा धारण की और तप किया।
द्यानतराय कहते हैं कि इस प्रकार सांताजी ने संन्यास ले लिया और फिर सौलहवें स्वर्ग में जाकर इन्द्र पद प्राप्त किया।
श्रीराम सीता से घर चलने का आग्रह करते हैं तो सीता प्रत्युत्तर में जो कहती है उसी का वर्णन है इसो भजन में।
द्यानत भजन सौरभ