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(६२) देखे धन्य घरी, आज पावापुर महावीर ॥ टेक ॥ गौतमस्वामि चंदना मेंढक, श्रेणिकसुखकर धीर ।। देखे.॥१॥ चार ओर भवि कमल विराजें, भक्ति फूल सुख नीर॥ देखे.॥२॥ 'द्यानत' तीरथनायक ध्यावै, मिट जावै भव भीर ।। देखे.॥३।।
आज पावापुर में महावीर की निर्वाणस्थली पर प्रभु के दर्शन किए। यह घड़ी, यह समय, अत्यन्त शुभ है, धन्य है। वे महावीर गौतम गणधर, चंदना, मेंढक
और श्रेणिक आदि को सुखकारी हैं, संतोष प्रदान करनेवाले हैं। ___चारों ओर सुखदायक जल में ए. सुन्दर कान दत्त में भकिक पुष्प वि हैं, जिनके बीच में प्रभु विराजित हैं।
द्यानतराय कहते हैं कि ऐसे तीर्थ के नायक भगवान महावीर को जो ध्याता है, जो उनका स्तवन व सुमिरण करता है उसके भव-भव के कष्ट नष्ट हो जाते हैं।
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द्यानत भजन सौरभ