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पालनेवाले श्रीकृष्ण ने कंस और जरासंध जैसे वीर पुरुषों को मारा, उस श्रीकृष्ण को जरदकुमार ने मार डाला, उस जरदकुमार को भी काल ने मार डाला ।
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बलपूर्वक परशुराम ने कई बार क्षत्रियों का नाश किया, उनको सुभूमि ने मारा, यम ने उसको भी मार डाला ।
भरत चक्रवर्ती ने देव, मनुष्य, पशु-पक्षी आदि को वश में किया पर वे बाहुबली से हार गए और उनका तनिक भी मान नहीं रहा अर्थात् उनका मान खण्डित हो गया।
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जिनकी भौंहें फड़कते ही, भृकुटि तनते ही इन्द्र नागेन्द्र भयाकुल हो जाते थे, अपने पाँवों से जो पर्वत को भी तोड़ देते, उनको भी कालरूपी सिंह ने खा लिया ।
नारी साँकल के समान तथा सुत बेटा उस फाँसी के समान है जिसका निवारण करना कठिन है। जिसे हटाना कठिन है। घर एक कारागार के समान है और लोभ चौकीदार है।
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अरे, अपने अन्तर में अनुभव करो और बाहर करुणाभाव रखो। द्यानतराय कहते हैं कि ये दोनों बातें जिसमें होती हैं वह मोक्षपुरी का राजा होता है ।
खानत भजन सौरभ
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