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समाप्त
आपके दर्शन करने से प्राणियों का जातिगत विरोध भी मिट जाता है, हो जाता है। आपके गुणानुवाद से मानतुंग के बंधन भी टूट गए। आपकी महिमा, शोभा ऐसी ही निराली हैं।
आपका विरद स्व- पर दोनों को तारनेवाला है, उद्धारक है। यह देखकर सब चिन्ताएँ दूर हो गई हैं। द्यानतराय कहते हैं कि आप हमें भी मोक्ष पद देवें, तब हमारी बात बने ।
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भेक मेंढक; विरद विरुद कीर्तिगाथा ।
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धानत भजन सौरभ