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आराधनासमुच्चयम् २७
हो जाता है। इसके स्थिर रहने का उत्कृष्ट काल ६६ सागर है, जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है। या तो इतने काल में क्षायिक सम्यग्दर्शन को प्राप्त कर मोक्ष चला जाता है वा मिथ्यात्व गुणस्थान को प्राप्त कर उत्कृष्ट रूप से अर्ध पुद्गल परिवर्तन कर संसार में भटकता रहता है। अन्त में, पुन: सम्यग्दृष्टि होकर मोक्ष में चला जाता है। सम्यग्दर्शन का ऐसा प्रभाव-महिमा है कि एक बार प्राप्त हो जाने पर यह जीव अर्धपुद्गल परावर्तन से अधिक संसार में भामा नहीं कर सकता !
卐 क्षायिक सम्यग्दर्शन अनन्तानुबंधी क्रोध, मान, माया, लोभ, मिथ्यात्व, सम्यक् मिथ्यात्व और सम्यक्त्व प्रकृति इन सात प्रकृतियों की सत्ताव्युच्छित्ति होने पर जो अडोल अकम्प दृढ़ श्रद्धान होता है, वह क्षायिक सम्यग्दर्शन कहलाता है। क्षायिक सम्यग्दृष्टि मेरु के समान निष्कम्प रहता है तथा यह सम्यग्दर्शन निर्मल, अक्षय और अनन्त है।
क्षायिक सम्यग्दृष्टि जीव कभी मिथ्यात्व को प्राप्त नहीं होता, किसी प्रकार का सन्देह भी नहीं करता और मिथ्यात्वजन्य अतिशयों को देखकर विस्मय को भी प्राप्त नहीं होता।
क्षायिक सम्यग्दर्शन के प्रारंभ होने पर अथवा प्राप्ति या निष्ठापन होने पर क्षायिक सम्यग्दृष्टि जीव के ऐसी विशाल गंभीर एवं दृढ बुद्धि उत्पन्न हो जाती है कि वह कुछ असंभव या अनहोनी घटनाएँ देखकर भी विस्मय एवं क्षोभ को प्राप्त नहीं होता है।
सम्यग्दृष्टय एव साहसमिदं कर्तुं क्षमन्ते परं, यद्बजेऽपि पतत्यमी भयचलत्रैलोक्यमुक्ताध्वनि। सर्वामेव निसर्गनिर्भयतया शंकां विहाय स्वयं,
जानन्तः स्वमवध्यबोधवपुष बोधाच्च्यवन्ते न हि ॥ स.सा.कलश१५४।। सम्यग्दृष्टि जीव ही ऐसा साहस करने में समर्थ है कि भय से तीन लोक के प्राणियों को अपने मार्ग से चलायमान करने वाली ध्वनि वाले वज्रपात के होने पर स्वभाव से निर्भय होने से सारी शंका को छोड़कर 'मैं अवध्य (अघातक) ज्ञान शरीर वाला हूँ ऐसा जानते हुए कभी अपने ज्ञान एवं श्रद्धान से च्युत नहीं होते।
क्षायिक सम्यग्दर्शन छूटता नहीं है। क्षायिक सम्यग्दृष्टि भव की अपेक्षा अधिक-से-अधिक चार भव तक संसार में रह सकता है। यदि पूर्व में किसी भी आयु का बंध नहीं किया हो तो उसी भव से मोक्ष जा सकता है। काल की अपेक्षा आठ वर्ष कम दो कोटि पूर्व और तैंतीस सागर तक संसार में रह सकता है। जघन्य से अन्तर्मुहूर्त में मोक्ष चला जाता है।
क्षायिक सम्यग्दर्शन केवली वा श्रुतकेवली के चरण-सान्निध्य में ही होता है, अन्य स्थान में नहीं होता है।