________________
आराधनासमुच्चयम् २७२
तप को अभ्यन्तर कहने का कारण अभ्यन्तरजातत्वादभ्यन्तरकर्मदोषनिर्हरणात्। अभ्यन्तरसंज्ञं स्यादुक्तमिदं षड्विधतपस्तु ।।२१०।।
॥ इति सम्यक् तप-आराधना ॥ अन्वयार्थ - अभ्यन्तरजातत्वात् - अभ्यन्तर आत्मीय परिणामों से उत्पन्न होने से। अभ्यन्तर कर्म दोष निर्हरणात् - आंतरिक कर्म दोषों का नाशक होने से। इदं - इस । षड्विधतप: - छह प्रकार के तप को। अभ्यन्तरसंज्ञं - अभ्यन्तर नामक तप । उक् - कहा। स्यात् - है।
अर्थ - कर्मनिर्जरा का कारणभूत १२ प्रकार का तप है। उसमें छह प्रकार का बहिरंग और छह प्रकार का अंतरंग तप है। जो बाह्य में दृष्टिगोचर होता है, मिथ्यादृष्टि जन भी जिसको करते हैं, वह बाह्य तप कहलाता है तथा जो अभ्यन्तर से उत्पन्न होता है, जिस तप को सम्यग्दृष्टि ही धारण करते हैं, जो अंतरंग में कर्मनाश का कारण है उसको अंतरंग तप कहते हैं। इस प्रकार तप आराधना के भेद-प्रभेद का कथन करने वाला तपाराधना नामक अध्याय पूर्ण हुआ।
॥ इति तपाराधना ॥ गुण आराध्य स्वरूप चार आराधना का कथन करके अब गुणी आराध्य के स्वरूप का कथन करते हैं
गुणिनः पंचविकल्पा हार्हत्सिद्धादिसार्थनामधराः।
स्युरुपेयोपायात्मक दृम्बोधचरित्रसुतपांसः ॥२११|| अन्वयार्थ - हि - निश्चय से। अर्हत्सिद्धादिसार्थनामधराः - अरिहन्त सिद्ध आदि सार्थक नाम धारक | पंचविकल्पाः - पाँच विकल्प (भेद) वाले। गुणिनः - गुणी। स्युः - होते हैं वे गुणी। उपेयोपायात्मकदृग्बोधचरित्रसुतपांसः - उपेय, उपाय स्वरूप सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र और सम्यक् तप के धारी होते हैं।
भावार्थ - सर्व प्रथम ग्रन्थ के प्रारंभ में आचार्यदेव ने गुण और गुणी के भेद से आराध्य दो प्रकार के कहे हैं, उनमें सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र और सम्यक् तप के भेद से आराधना करने योग्य गुण चार प्रकार के कहे हैं। उनका वर्णन पूर्व में सम्यग्दर्शनाराधना, सम्यग्ज्ञान आराधना, सम्यक्वारित्र
आराधना और सम्यक् तपाराधना के रूपमें विस्तार पूर्वक किया है। यहाँ पर गुणी रूप आराध्य अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु के भेद से पाँच प्रकार के हैं।
अरिहंत और सिद्ध उपेय हैं और आचार्य, उपाध्याय और साधु उपाय हैं अथवा सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र और सम्यक्तप के द्वारा उपेय पाँच परमेष्ठी है और सम्यग्दर्शन आदि पाँच परमेष्ठी पद को प्राप्त करने के उपाय हैं।
ये पाँचों परमेष्ठी सार्थक नाम के धारी हैं। नाम दो प्रकार के होते हैं सार्थक और असार्थक | नाम