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आराधनासमुच्चयम् + २८०
आचारं पञ्चविधं भव्यानाचारयन्ति ये नित्यम्।
शक्त्याचरन्ति च स्वयमाचार्यास्ते मते जैने ॥२१७॥ युग्मम्।।
अन्वयार्थ - शिष्यानुग्रहनिग्रहकुशलाः - शिष्यों का अनुग्रह और निग्रह करने में कुशल हैं। कुलजातिदेशसंशुद्धाः - कुल जाति देश से शुद्ध हैं। षट्त्रिंशद्गुणयुक्ता: - छत्तीस गुणों से युक्त हैं। तात्कालिकविश्वशास्त्रज्ञाः - तात्कालिक सारे शास्त्रों के ज्ञाता हैं। च - और। ये - जो। नित्यं - नित्य । पंचविधं - पाँच प्रकार के ! आचारान् - आचार को। स्वयं - स्वयं। शक्त्या - शक्ति के अनुसार। आचरन्ति - आचरण करते हैं, पंचाचार का आचरण कराते हैं। ते - वे। जैने - जैन । मते - मत से। आचार्याः - आचार्य कहलाते हैं।
अर्थ - जो अनुशासन करने योग्य होते हैं अर्थात् जो गुरु के अनुशासन में रहता है, वह शिष्य कहलाता है।
इष्ट कार्य के प्रतिपादन को अनुग्रह कहते हैं। जिस कार्य से स्वपर का उपकार होता है, वह अनुग्रह कहलाता है। स्वच्छन्द प्रवृत्ति को रोकना निग्रह है।
जो साधु शिष्यों को हितोपदेश देकर उनका उपकार करता है और शिष्यों की स्वच्छन्द प्रवृत्ति को रोकने में समर्थ है, उसको शिष्यों का अनुग्रह और निग्रह करने में कुशल कहा जाता है।
पिता की वंश परम्परा को कुल और माता की वंश परम्परा को जाति कहते हैं। जिस देश में रहते हैं, निवास करते हैं, वह देश कहलाता है।
जिनके माता और पिता के वंश में किसी प्रकार का दूषण नहीं हो, अर्थात् जो लोकनिन्दा से रहित हो। सर्व लौकिक जनों के द्वारा निश्शक रूप से सेवा करने योग्य हो तथा कुल-परम्परा से आगत गुणों से युक्त तथा क्रूरतादि दोषों से रहित हो उसको जातिकुलशुद्ध कहते हैं। जिस देश में निवास करता है, वह देश भी दुराचार, हिंसादि पापों से रहित होना चाहिए। अत: इन तीनों से शुद्ध को कुल-जाति-देश-संशुद्ध कहते हैं।
पाँच आचार, दशधर्म-धारण, बारह तपों का पालन, तीन गुप्ति और षट् आवश्यक ये आचार्य के ३६ गुण कहलाते हैं अथवा -
(१) आचारवान् - जो दर्शनाचार, ज्ञानाचार, चारित्राचार, तपाचार और वीर्याचार इन पांचों प्रकार के आचारों का स्वयं पालन करते हैं और शिष्यों से पालन कराते हैं, वे आचारवान् कहलाते हैं।
(२) आधारवान् - जो चौदह पूर्व, ग्यारह अंग व दश पूर्व के ज्ञाता हैं, सागर के समान गम्भीर हैं और सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्वारित्र और सम्यक्तप की उत्पत्ति, स्थिति, वृद्धि और रक्षा के आधारभूत हैं, उनको आधारवान् कहते हैं। इसका दूसरा नाम श्रुताधार भी है।