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आराधनासमुच्चयम् ७७
गुणस्थानों में दर्शन का अस्तित्व चतुरिन्द्रियादिनष्टकषायान्तं प्रथमदर्शनं विन्द्यात्। एकेन्द्रियादिनष्टकषायान्तं स्याद् द्वितीयं च ॥५०॥ अविरतसम्यग्दृष्ट्याद्या क्षीणकषायमवधिदर्शनकम्।
केवलिनो: सिद्धानां चतुर्थकं स्यादिति प्राहुः ॥५१॥ अन्वयार्थ - चतुरिन्द्रियादिनष्टकषायान्तं - चार इन्द्रिय से लेकर क्षीणकषायपर्यन्त प्रथम (चक्षु) दर्शन । विद्यात् - जानना चाहिए। च - और । एकेन्द्रियादिनष्टकषायान्तं - एकेन्द्रिय से लेकर क्षीणकषायपर्यन्त गुणस्थान तक 1 द्वितीयं - दूसरा (अचक्षु) दर्शन। स्यात् - होता है। अविरत - सम्यग्दृष्ट्याद्या - चतुर्थ गुणस्थान से लेकर। क्षीणकषायं - क्षीणकषायगुणस्थान - पर्यन्त । अवधिदर्शनकं - अवधिदर्शन । केवलिनो: - दोनों केवलियों के। सिद्धानां - सिद्धों के। चतुर्थकं - चौथा (केवल) दर्शन । स्यात् - होता है। इति - इस प्रकार। प्राहुः - कहा है।
अर्थ - चपर्शन चतुन्द्रिय और पंचेन्द्रिय के होता है। गुणस्थान की अपेक्षा चक्षुदर्शन प्रथम गुणस्थान से लेकर बारहवें गुणस्थान तक होता है। अचक्षुदर्शन एकेन्द्रिय से लेकर पंचेन्द्रिय पर्यन्त सर्व जीवों के होता है।
अविरत सम्यग्दृष्टि से लेकर क्षीणकषाय गुणस्थान पर्यन्त अवधिदर्शन का अस्तित्व रहता है। सयोगकेवली, अयोगकेवली और सिद्धों के केवलदर्शन होता है।
दर्शन का कारन प्रथमतृतीये काल: सादिः सान्तो द्वितीयकेऽनादिः।
सान्तोऽनन्तश्च भवेच्चतुर्थके साद्यनन्तः स्यात् ॥५२॥ अन्वयार्थ - प्रथमतृतीये - प्रथम और तृतीय (चक्षु एवं अवधि) दर्शन का! कालः - काल। सादिः - सादि । सान्तः - सान्त है। द्वितीयके - दूसरे (अचक्षु) दर्शन का। अनादिः - अनादि । सान्तः • सान्त । च - और। अनन्तः - अनन्त । भवेत् - होता है। चतुर्थके - चतुर्थ (केवल) दर्शन का काल। साद्यनन्तः - सादि और अनन्त । स्यात् - होता है।
अर्थ - चक्षुदर्शन और अवधिदर्शन सादि हैं क्योंकि चक्षुदर्शन चतुरिन्द्रिय जीव से ही प्रारंभ होता है और चतुरिन्द्रिय अनादि नहीं है क्योंकि जीव की अनादिकालीन पर्याय तो एकेन्द्रिय है। चक्षुदर्शन अनन्त काल तक रहने वाला नहीं है, इसलिए सान्त (अन्तसहित) है। अवधिदर्शन भी सम्यग्दृष्टि अवधिज्ञानी जीव के ही होता है, अत: यह भी सादि है और अवधिज्ञान अनन्तकाल तक रहता नहीं है अतः सान्त है। इसी प्रकार अवधिज्ञान के पूर्व होने वाला अवधिदर्शन भी सान्त है।
अचक्षुदर्शन एकेन्द्रिय से लेकर बारहवें गुणस्थान पर्यन्त होता है। जीव की एकेन्द्रिय पर्याय