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आराधनासमुच्चयम् २५८
मिथ्यात्वादि के द्वारा आने वाले आस्रव को रोकने के उपायों का कथन मिथ्यात्वास्नवजानां मार्गाः सम्यक्त्वदृढकवाटौधैः । अविस्वजानां वर्णानि तनमहापरिघैः ॥ १७९॥ क्रोधाद्यावजानां द्वाराण्यकषायभावफलकाभिः । योगावजानां प्रणिरुध्यन्तेऽयोगतावृत्या || १८० ॥ युग्मम् । । इति संवरानुप्रेक्षा ।
अन्वयार्थ - मिथ्यात्वास्रवजानां मिथ्यात्व से उत्पन्न होने वाले आस्रव के । मार्गाः - मार्ग । सम्यक्त्वदृढकवाटोघें: - सम्यग्दर्शनरूपी दृढ़ कपाट के समूह के द्वारा । प्रणिरुध्यन्ते - रोक दिये जाते हैं। अविरत्यास्रवजानां अविरति से आने वाले आस्रवों से उत्पन्न । वत्स्यनि द्वार को। व्रतमहापरिघैः " व्रतरूपीमहाअर्गल के द्वारा । क्रोधाद्यास्रवजानां क्रोधादि के द्वारा आने वाले आस्रवों के द्वाराणि द्वारों को। अकषायभावफलकाभिः अकषाय भावरूप फलक के द्वारा। योगास्रवजानां योग से आने वाले आस्रव द्वार 1 अयोगतावृत्या अयोगतारूपी वृत्ति के द्वारा । प्रणिरुध्यन्ते रोक दिये जाते हैं ।
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अर्थ - कर्म आने के द्वार मिथ्यादर्शन, अविरति कषाय और योग हैं अर्थात् मिथ्यादर्शन, अविरति, कषाय और योग ये चार कर्मागमन के द्वार हैं। इन चार द्वारों को रोकने वाले सम्यग्दर्शन, व्रत, निष्कषाय भाव और योगनिरोध हैं।
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मिथ्यादर्शन के द्वारा आने वाली जो मिथ्यात्व, हुंडक संस्थान, नपुंसक वेद, एकेन्द्रिय. दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय, चार इन्द्रिय, स्थावर, आताप, सूक्ष्म, अपर्याप्त, साधारण, नरक गति, नरकगत्यानुपूर्वी और नरकायुरूप १६ प्रकृति हैं, वे सम्यग्दर्शन रूप दृढ़ कपाट के द्वारा रुक जाती हैं। इसी के साथ अनन्तानुबंधी कषाय से बँधने वाली २५ प्रकृतियों का निरोध हो जाता है।
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अविरति भाव से आने वाली प्रकृतियों का संवर अणुव्रत और महाव्रतों के द्वारा हो जाता है। क्रोधादि कषायों के द्वारा आने वाले कर्मों का संवर निष्कषाय भाव से रुक जाता है और योग से आने वाले कर्मों का निरोध योगनिरोध से हो जाता है। इस प्रकार संवर भावना का चिन्तन करना चाहिए।
निर्जरा भावना
पूर्वोपार्जितकर्मप्रविगलनं निर्जरा विनिर्दिष्टा ।
सा द्विविधा ज्ञेया स्यादुदयोत्थोदीरणोत्था च ॥ १८१ ।।
अन्वयार्थ - पूर्वोपार्जितकर्मप्रविगलनं पूर्वोपार्जित कर्मों का नाश होना । निर्जरा - निर्जरा। विनिर्दिष्टा - कही है। सा वह निर्जरा । उदयोत्था कर्मों के उदय से उत्पन्न । च और । उदीरणोत्था
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• उदीरणा से उत्पन्न । द्विधा दो प्रकार की। स्यात् - है ऐसा ज्ञेया जानना चाहिए।
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