Book Title: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth
Author(s): Saubhagyamuni
Publisher: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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आशीर्वचन एवं शुभकामना | ४७
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देव से प्रार्थना है कि आप आरोग्यमय दीर्घायुष्य प्राप्त करें हैं। इसके साथ ही आप सुमधुर भाषी, सरल, सौम्य तथा
और शासन तथा समाज की अधिकाधिक सेवा करें। यही मिलनसार एवं महान सेवाभावी मुनि हैं। मंगल कामना है।
. इन विगत ५० वर्षों में मुनि श्री ने गौरवमयी वीरभूमि मेवाड़ में तथा सम्पूर्ण राजस्थान में भगवान महावीर
का पवित्र सन्देश सुनाकर जनमानस को एक अपूर्व आध्या0 मालव केसरी श्री सौभाग्यमल जी महाराज
त्मिक प्रेरणा दी और उनका मार्ग-दर्शन किया है। [विद्वान, प्रसिद्ध वक्ता तथा अनेक शिक्षण संस्थाओं
विश्वास है, आगामी कई वर्षों तक आप निरन्तर धर्म के संप्रेरक]
कार्य करते हुए विश्व शान्ति में सहायक होंगे। मैं आपके मानव जीवन की सफलता उसके चरम लक्ष्य मोक्ष यशस्वी सुदीर्घ स्वस्थ जीवन की मंगल कामना करता हैं। की प्राप्ति है। मोक्ष-प्राप्ति के हेतु अनेक प्रयत्न किये जाते हैं, किन्तु साधु-जीवन ही एक ऐसा साधन है जो मोक्ष को
0 शासनसेवी मुनि श्री वृजलाल जी प्राप्त कराता है। महान ऋद्धि वाले, सर्वसम्पदा से युक्त
[उपप्रवर्तक, स्तोक ज्ञान के गंभीरवेत्ता, ज्योतिर्विद संत] तीर्थंकर भगवान ने भी अपने जीवन में साधु वृत्ति अपनाकर साधना द्वारा मोक्ष प्राप्त किया।
मेवाड़ की जैन जनता सन्त शिरोमणि प्रवर्तक श्री प्र० पं० मुनि श्री अम्बालाल जी महाराज एक तपे अम्बालाल जी महाराज का अभिनन्दन-समारोह मना रही हुए सन्त हैं । संगठनात्मक शक्ति पर्याप्त है और प्रचारात्मक है, यह जानकर अतीव प्रसन्नता है, मुझे। शक्ति भी। छोटे-छोटे क्षेत्रों को भी पावन करके धर्म का मुनि श्री जी के प्रति मेरी सतत् शुभ कामना है-वे शंखनाद फूकते रहे हैं। उनका जीवन आदर्श और अनु- चिरायु बनें और जिन-शासन की शोभा बढ़ावें । करणीय है। उक्त मुनिवर के दीर्घ जीवन की कामना करता हूँ
। मेवाड भूषण श्री प्रतापमल जी महाराज ताकि वे अधिक से अधिक संयमी जीवन व्यतीत कर भव्यजीवों को संसार रूपी समुद्र से तिरने का प्रशस्त मार्ग-दर्शन
[सुदक्ष धर्म प्रचारक, प्रवक्ता एवं विद्वान श्रमण] करते रहें।
मेवाड़ संघ शिरोमणि प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी महाराज साहब से मेरा काफी समय से स्नेह सम्पर्क रहा
एवं साथ रहने का भी मुझे सुअवसर मिलता रहा है। ] पं० मुनि श्री कस्तूरचन्द जी महाराज
आप पूज्य प्रवर श्री एकलिंगदास जी महाराज के [प्रसिद्ध ज्योतिर्विद, स्थविररत्न प्रभावक श्रमण]
परम्परा में धैर्य-गाम्भीर्य गुणों से युक्त स्व० श्री भारमल यह जानकर अत्यन्त हर्ष हुआ है कि मेवाड़केशरी, प्रिय जी महाराज के शिष्य रत्न हैं । लघुवय में दीक्षा स्वीकार धर्मोपदेशक, वीर वाणी एवं अहिंसा के प्रबल प्रचारक, कर रत्न-त्रय की आराधना करते हुए जिन शासन की तपोधनी प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी महाराज साहब की इलाघनीय सेवा में मय शिष्य परिवार से संलग्न हैं।। अर्द्धशताब्दी भगवती दीक्षा के उपलक्ष में एक अभिनन्दन आप सरल-स्वभावी, विमल आचार-विचारी एवं ग्रन्थ का प्रकाशन किया जा रहा है।
सम्प्रदायवाद से निर्लेप रहे हैं। प्रवर्तक जी कर्मयोगी, ही नहीं किन्तु दृढ़ धर्मयोगी भी आप दीर्घायु रहें, यही मेरी शत-शत शुभ कामना है।
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