Book Title: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth
Author(s): Saubhagyamuni
Publisher: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti

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Page 624
________________ कार्यक्रम की आँखों देखी झांकी | ३ [C] परमविदुषी महासती जी थी सौमान्य कुंवर जी महाराज परम विदुषी महासतीजी श्री रूपकुँबर जी महाराज परमविदुषी मधुरवक्तृ महासती जी श्री प्रेमवती जी महाराज ठा० १० [ परम विदुषी महासती जी श्री नानूजी महाराज ठा० ५ परम विदुषी महासती जी श्री चतुरकुंवर जी महाराज ठा० ६ परम विदुषी महासती जी श्री तेजकुंवर जी महाराज ठा० ३ [] परमविदुषी महासती जी थी वस्लमकुंवर भी महाराज डा० ४ प्रखर वक्ता श्री रूप मुनि जी महाराज समारोह से ३ सप्ताह पूर्व ही प्रवर्तक श्री से आ मिले । चैत्र कृष्णा अष्टमी मंगलवार को पूज्यप्रवर्तक श्री और श्री रजत मुनि जी आदि मुनिराजों का कोशीथल पदार्पण हुआ । स्थानीय जनता ने हार्दिक उमंगों से गुरुदेव श्री का स्वागत किया । गुरुदेव श्री के पदार्पण के साथ ही कोशीथल में उत्साह की नयी लहर छा गई, श्री रजत मुनि जी के मारवाड़ी भाषा के जोशीले व्याख्यानों ने अनोखा समां बाँध दिया । पूज्य मरुधर केसरी जी महाराज, श्री 'कमल' जी महाराज, श्री मूल मुनि जी महाराज आदि ज्यों-ज्यों मुनि - राजों और महासतियां जी महाराज का पदार्पण होता गया त्यों-त्यों कोशीथल नगर की जनता हर्ष और आनन्द के वातावरण से तरंगायमान होने लगी। कार्यकर्ताओं में बिजली-सी स्फूर्ति प्रवेश कर गई । बाहर के अतिथियों दर्शनार्थियों का आवागमन भी चालू हो गया । जनता ने मान्य अतिथियों का स्वागत करने हेतु नगर को दुल्हन की तरह सजाया । अद्भुत सेवा कोशीथल में स्थानीय ठाकुरसाहब श्री उम्मेदसिंह जी से लेकर नगर निवासी सभी जाति और वर्ग का बच्चा-बच्चा तक समारोह हेतु सेवा में जुट गया । ज्यों-ज्यों समय निकट आता गया, देखते ही प्रत्येक कार्य की अलग-अलग समितियाँ बन समझकर योग्य कदम उठा रही थीं। पानी, आवास, बिजली, हो रहा था । देखते सभी तरह की व्यवस्थाएँ जुटा ली गई । चुकी थीं और सभी समितियाँ अपनी जिम्मेदारी को ठीक-ठीक संघ की चच्च समिति सारी व्यवस्थाओं की ठीक-ठीक देखभाल कर रही थी । भोजन, बिस्तर पण्डाल आदि व्यवस्था के सारे पहलुओं पर एक साथ काम देखते ही देखते नगर के बाहर प्राइमरीशाला के पास तीस हजार से अधिक व्यक्ति बैठ सकें ऐसा बड़ा पण्डाल निर्मित हो गया, डेढ़ सौ तम्बू कोटड़ियाँ अलग से तैयार हो गईं। सारे नगर में यत्र-तत्र पानी की बड़ी सुन्दर व्यवस्था कर दी गई । नगर में जितने भी सम्भव हुए, स्थान ( जो आवास योग्य थे) खाली करवा लिये गये। ठाकुर साहब ने गढ़ खोल दिया। स्कूल कन्याशाला आदि सार्वजनिक स्थल भी सेवा हेतु प्रस्तुत कर दिये गये । दि० २-४-७६ से जनता का पदार्पण प्रारम्भ हुआ। भादसोड़ा मंगलवाड़, सनवाड़ बदनोर, भीलवाड़ा, फतहनगर, खेरोदा, करेड़ा (राज.) रायपुर, आमेट, झडोंल आदि कई स्थानों के स्वयंसेवक दि० २ और ३ प्रातः पहुंच गये थे और अपने निर्धारित कार्यों में लग गये । राणावास और जैतारण छात्रावास के छात्र भी अपने बैण्ड और विशेष तैयारी के साथ उपस्थित हुए । दि० २, रात्रि को, राणावास के छात्रों का सांस्कृतिक कार्यक्रम बड़ा आकर्षक और प्रभावशाली रहा। हजारों जनता ने मुक्तकंठ से सराहना की। दिनांक ३ अप्रेल : अधिवेशन दिवस रवि की स्वर्णिम रश्मियों के साथ ही पवित्र प्रभु प्रार्थना के द्वारा दिनांक ३ का कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ । दानवीर सेठ श्री हस्तिमल जी मुणोत ने ध्वजोत्तोलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया । पंचरंगा जैन ध्वज नील गगन में फहरने के साथ ही स्वागत गान द्वारा उसका स्वागत किया गया । आठ बजे के बाद प्रवचन कार्यक्रम रहा जो ११ बजे तक चला। पूज्य मुनिराजों और महासतियाँ जी महा fully Hin ☆ - 000000000000 000000000000 www.amelbrany.org SB135/

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