Book Title: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth
Author(s): Saubhagyamuni
Publisher: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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कार्यक्रम की आँखों देखी झाँकी
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विश्वज्योति भगवान महावीर के धर्मशासन को दैदीप्यमान करने वाले संत रत्नों की मणिमाला की दैदीप्यमान मणि स्वरूप पूज्य प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी महाराज की दीक्षा स्वर्ण जयन्ति के पवित्र अवसर पर उनका सार्वजनिक अभिनन्दन करने का मेवाड़ श्रावक संघ ने एकमत होकर निश्चय किया, साथ ही मुनि श्री 'कुमुद' जी के सद्प्रयास से अभिनन्दन ग्रन्थ के निर्माण और प्रकाशन की शुभ योजना बनी।
योजना बनाना जितना आसान था, कार्य उतना ही विशाल और कठिन था।
मेवाड़ के वरिष्ट कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी, धनाढ्य, अग्रगण्य सभी सज्जनों ने प्रस्तुत कार्य को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया और सभी अपने सामर्थ्यानुसार लगन के साथ कार्य को सम्पन्न करने में जुट गये ।
वर्षमर के कठिन श्रम व निष्ठा ने लक्ष्य को निकट लाकर खड़ा कर दिया। समय का निर्णय
अभिनन्दन समारोह कब किया जाये यह एक प्रश्न था, कई पहलू से इस पर गम्भीरता से चिन्तन चला, अन्त में चैत्र शुक्ला पंचमी का निश्चय किया गया । ऋतु, मास, वार तिथ्यादि की दृष्टि से यह एक श्रेष्ठ निर्णय था जो सम्पूर्ण रूप से मान्य हुआ। चैत्र शुक्ला चतुर्थी को धर्म-ज्योति परिषद् के अधिवेशन का निश्चय हुआ, इस तरह द्विदिवसीय कार्यक्रम रखने का निर्णय किया गया। समारोह-कोशीथल में
अभिनन्दन समारोह जैसे विशाल कार्यक्रम को अपने यहाँ सम्पन्न कराने हेतु कई श्रावक संघों के हृदय में, उमंगों की हिलोलें उठने लगीं। जो श्रावकसंघ पुर जोर आग्रह कर रहे थे, उनमें 'आमेट और कोशीथल' मुख्य थे।
उदयपुर जहाँ पूज्य गुरुदेव श्री का चातुर्मास था, वहीं मेवाड़ के प्रमुख संघों और अभिनन्दन समारोह समिति के सदस्यों की एक सुन्दर सभा आयोजित हुई, आमेट और कोशीथल तथा अन्य क्षेत्रों के आग्रह सामने आये, बड़ी गहराई से इस विषय को चर्चने के बाद कोशीथल के आग्रह को स्वीकार किया गया । तुमुल जयनाद के साथ कोशीथल संघ ने इस स्वीकृति का हार्दिक स्वागत किया । बहुमुखी तैयारियाँ
अभिनन्दन समारोह के लिए कोशीथल को स्वीकृति मिलने के साथ ही कोशीथल संघ ने अपनी तैयारियाँ प्रारम्भ कर दीं।
दूसरी तरफ अभिनन्दन समारोह समिति का विधिवत् गठन हुआ।
अध्यक्ष-श्री भूरालाल जी सूर्या, उपाध्यक्ष-श्री ॐकारलाल जी सेठिया, संयोजक-श्री घीसूलाल जी कोठारी, मंत्री-श्री रोशनलाल जी पगारिया आदि अन्य सदस्यगण, इस तरह ५१ सदस्यों की सक्रिय कार्यकारिणी का गठन किया गया।
अभिनन्दन समारोह को सफल बनाने हेतु प्रचार, प्रसार सम्बन्धी कार्य को देखना तथा उक्त समारोह, समाजसुधार की दृष्टि से उपयोगी सिद्ध हो, इस दृष्टि से आवश्यक कार्य करना ये इस समिति के कार्य थे।
समिति ने 'कांकरोली' में अपना कार्यालय स्थापित कर अपना कार्य प्रारम्भ किया।
LAVROMAN
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