Book Title: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth
Author(s): Saubhagyamuni
Publisher: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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अभिनन्दन मय स्वर्णिम-सूत्र
परम पूज्य प्रवर्तक श्री मरुधर केशरी मिश्रीमलजी महाराज का ओजस्वी वक्तव्य
जो कार्य करणे रे वास्ते आप यहाँ इकट्ठे हैं, वो प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी स्वामी का अभिनन्दन है । अम्बालाल जी स्वामी रो मेवाड़ में ही नहीं, सारा स्थानकवासी समाज में बड़ो महत्त्व है।
प्रकृति सू सरल, साधुता में रमियोड़ा स्वामी जी सबने बड़ा प्रिय है । इणारा पचास वर्ष रा संयम में बड़ी चमक-दमक रही।
इणां रा सुयोग्य शिष्य और मेवाड़ रा श्रावक अभिनन्दन रो यो विशाल आयोजन कियो, यो अपना गुरु रे प्रति आदर और भक्ति रो एक सुन्दर परिचय है।
म्हारो एक आग्रह हैं इणां रा अभिनन्दन को कोई स्थायी लाभ होणों चाहिजे।
उदयपुर में शोध संस्थान री योजना बड़ी उत्तम है, पिण बाता सूतो की होवे नी । काम तो करणे सू होवे। काम करणे रे वास्ते आप में लगन है तो काम बणने में की रुकावट नहीं ।
तन-मन-धन सू सहयोग करणे री भावना राख हिम्मत सू काम आगे बढ़ाओ, सफलता मिले और मिले । आज रो यो दृश्य देख म्हारा हिरदै में आनन्द री हिलोलां उठ रही है।
यो पंडाल रंग-बिरंगी पागडियां वाला सू ठट्ठ भरियोड़ो एड़ो सुहावणो लागे मानो रंग-बिरंगा फूलारी सैंकड़ों क्यारियां एक साथ खिलगी ।
मेवाड़ी आन शान में शूरा ने बात में पक्का वे आ वीर भूमि है, इण भूमि री मिट्टी में एक तेज है।
आज आपणां श्रमण संघ री एकता बणी राखणे रे वास्ते आपसू म्हारी अपील है । आज श्रमण संघ रे सामने संवत्सरी री एकता रो म्होटो प्रश्न है । आप सब इण एकता ने बणी राखणे में हृदय सूमददगार बणो । अपणी अपणी जिद्द राखणे में की धरियो नी है । एकता बणी रहे तो या बहुत बड़ी सिद्धि है।
अभिनन्दन री इण बेला में स्वामी जी श्री अम्बालाल जी महाराज ने 'मेवाड़ संघ शिरोमणि' पद सूअलंकृत करणे री भावना है। सारा संघ रो इण में समर्थन मिलणो चाहिजे ।
___ मरुधर केसरी-इसी तरह स्वामी जी रा सुयोग्य शिष्य सौभाग्य मुनि 'कुमुद' ने 'प्रवचन भूषण पदसू अलंकृत किया है।'
सारी जनता ने भारी समर्थन किया। म० के०-पूज्य आचार्य श्री ये पद घोषित करें, यह हमारी सबकी भावना है । श्री अम्बालाल जी स्वामी ने साधु समाज री तरफ सू अभिनन्दन स्वरूप अभिनन्दन चद्दर अर्पित करते हैं ।
१ सारे संघ ने जबर्दस्त समर्थन कर पद समर्पण के साथ जयनाद किया । २ पूज्य मरुधर केसरी जी ने चद्दर औढ़ाई और सारे समाज ने जयनाद के साथ स्वागत और समर्थन किया।
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