Book Title: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth
Author(s): Saubhagyamuni
Publisher: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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अभिनन्दन मय स्वणिम-सूत्र | ११
ग्रन्थ निर्माण और प्रकाशन से लेकर समारोह तक हजारों कार्यकर्ता जिस तरह जुटे रहे और अहर्निश श्रम करते रहे यह हमारे लिए बड़े सात्विक आनन्द का विषय है।
इस अवसर पर मैं श्री रूप मुनि जी महाराज 'रजत' को हार्दिक धन्यवाद दिये बिना नहीं रह सकता, जो समारोह के तीन सप्ताह पूर्व ही इधर हमसे आ मिले और बड़ी लगन तथा तत्परता के साथ अपनी महत्त्वपूर्ण सेवाएं दीं।
श्रावक संघ कोशीथल की महान् सेवाओं का मैं क्या उल्लेख करूं। आज इसने जैन संघों के इतिहास में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बना लिया है।
अन्त में पूज्य गुरुदेव श्री का हमें दीर्घकाल तक मंगल सानिध्य प्राप्त हो इसी शुभ भावना के साथ सभी पूज्य मुनिराज और महासती जी का एक बार और हार्दिक स्वागत करता हुआ अपनी बात पूर्ण करता हूँ।
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प्रखरवक्ता श्री रूप मुनि जी रजत' का ओजस्वी वक्तव्य
आज कोशीथल का आंगणा में सारी चीजा है । धर्म नेता और राज नेता दोई अठे है। एक खाद्यमन्त्री है एक प्रकाश करणे वाला है । मुनिराज भी आत्मा री खुराक दे और अन्तर रो प्रकाश करे।
बाह्य और आध्यात्मिक दोनों बातों री पूर्ति कोशीथल में है। बाह्य से सम्बन्ध संसार सूं है अन्तर को सम्बन्ध आत्मा तूं है । या आध्यात्मिक उत्सव है। प्रवर्तक श्री अम्बालालजी महाराज को अभिनन्दन यो संयम, तप, और साधना को अभिनन्दन है । इण अवसर पे कोई न कोई उद्योत होणो चहिजे ।
पूज्य मरुधर केसरी जी महाराज भी अठे आयोड़ा है, ए सच्चा केसरी है। ये मारवाड़ तूं आया है, मेवाड़ मारवाड़ एक है। अब तो राजस्थान बणग्यो की भेद नी है। सबने एक जुट बण समाज रो उत्थान करणे रे वास्ते आगे आणो है।
म्हाणे मित्र मुनि श्री कुमुद' जी रे आह्वान पे अभी तिलक, दहेज और मृत्यु भोज रे खिलाफ हाथ खड़ा किया पिण, इणां में पागड़ियां वाला हाथ कम खड़ा किया है।
इणां रे आगे आया बिना काम चलेला नहीं। माल ताल रूपचन्दजी सव पागड़ियां वाला रे हाथ में है।
उगाड़ा माथा वाला रा हाथ में की नी है । सब एक साथ मिल काम करणे रे वास्ते आगे आओ तो नियम पार पड़े ला।
प्रवर्तक श्री अम्बालालजी महाराज धर्म रा धोरी, श्रमण संघ का प्यारा ने मेवाड़ रा दुल्हारा है।
आप लोग अपणे गुरू रो अभिनन्दन करियो, या श्रेष्ठ बात है। अपणे गुरु रो, अपणे बड़ेरा रो, अपणे मातापिता रो, आदरं करणो यो सपूत पणो है ।
आज कोशीथल रा कण-कण में गुरु अभिनन्दन री चमक है । आप सब के साथ मैं भी इण महान् आत्मा रो हार्दिक अभिनन्दन करू।।
प्रवर्तक श्री अम्बालालजी महाराज अत्यन्त सरल है, मेवाड़ तो सरल नी है पर, मेवाड़ का गुरु सरल है । इण रा नेतृत्व तूं मेवाड़ रो नाम और ऊँचो उठियो।
अन्त में इणां रा दीर्घ-जीवन री मंगल कामना रे साथ मैं अपणो प्रवचन पूरो करूं।
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