Book Title: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth
Author(s): Saubhagyamuni
Publisher: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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कार्यक्रम की आँखों देखी झांकी | ५
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दिनांक ३ रात्रि के युवक सम्मेलन तक कोशीथल में लगभग बीस हजार जनता का शुभागमन हो चुका था। सारा नगर और पांडाल खचाखच जनता से भरे थे । स्वयं सेवक और नगर की जनता तन्मयता से सेवा में जुटे हुए थी।
युवक सम्मेलन ठीक समय पर श्रीमान् चांदमल जी लोढ़ा (जस्टिस-हाईकोर्ट) की अध्यक्षता में प्रारम्भ हुआ।
अभिनन्दन समारोह समिति के मन्त्री श्री रोशनलाल जी पगारिया ने समाज-सुधार के विषय में अब तक हुए कार्य का परिचय दिया ।
बाहर से आये सुझावों का वाचन हुआ।
विशेष अतिथि गणमान्य सज्जन श्रीमान् जसवन्तसिंह जी नाहर ने अपने विशेष भाषण में कुरीतियों पर तीव्र प्रहार करते हुए समाज को आगे बढ़ने का आग्रह किया।
श्रीयुत् नाहर साहब ने कहा-अब, समय आ गया है कि हम समाज में एक नयी क्रान्ति कर युगधर्म को आत्मसात् करें।
सेठ श्री हस्तिमल जी मुणोत ने कहा-मीठी बातों से कुछ होने वाला नहीं है, कार्य करना है तो, मुनियों को . और कार्यकर्ताओं को कड़क कदम उठाने होंगे।
श्री मनोहर जी कोठारी एम. एल. ए. ने कहा, कि सभी तरह के भेदभावों को भुलाकर भगवान महावीर की जो देन है उसके अनुसार सात्विक समाज रचना का कार्य होना चाहिए।
. श्री भंवर जी पगारिया ने २२ सूत्री कार्यक्रम प्रस्तुत करते हुए उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला । श्री घीसू लाल जी कोठारी, श्री शंकर जी जैन, श्री मदनलाल जी जैन आदि विचारकों के कई सुन्दर विचारों से युवकों में समाज सुधार का एक नया वातावरण बन गया।
अन्त में, मृत्युभोज समाप्त करने, दहेज का प्रदर्शन रोकना और तिलक प्रथा समाप्त करने सम्बन्धी तथा समाज के हित साधक कुछ अन्य ऐसे महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव सर्वानमति से पास हए।
अन्त में, श्रीमान् चांदमल जी लोढा ने अपने अध्यक्षीय भाषण में सामाजिक परिवर्तन की बहुत बड़ी आवश्यकता बताते हुए युवकों को नव समाज रचना में आगे आने का सन्देश दिया।
- यह ऐतिहासिक युवक सम्मेलन अर्धरात्रि तक चला और कई उपलब्धियों के साथ कुछ शानदार प्रेरणाओं के साथ सम्पन्न हुआ।
दिनांक ४ अप्रेल : अभिनन्दन समारोह दिवस रवि रश्मियों की मृदुल अठखेलियों के साथ मंगल प्रभात में प्रार्थना की स्वर-लहरियाँ लहराने लगी और दिनांक ४ अर्थात् चैत्र शुक्ला पंचमी का शुभ कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ।
ध्वज विमोचन और मंगल ध्वनियों से वातावरण उल्लास के नये क्षणों में प्रवेश कर गया। अध्यक्ष का स्वागत
८.३० बजे अध्यक्ष महोदय श्री ॐकारलाल जी सेठिया तथा अभिनन्दन समारोह समिति के अध्यक्ष दानवीर सेठ श्री भूरालाल जी सूर्या का स्वागताध्यक्ष श्रीमान् सोहनलाल जी भटेवरा तथा उपस्थित जनता ने मालार्पण कर हादिक स्वागत किया और भव्य चल समारोह का आयोजन किया।
दोनों महोदय, सजी हुई गाड़ी में समारूढ़ थे, राणावास के छात्र बैण्ड की मधुर झकारों और गगनभेदी जयकारों से वातावरण बड़ा उल्लासमय बन रहा था । स्वागत जुलुस कन्याशाला से प्रारम्भ हुआ और पांडाल में समाप्त हुआ; जहाँ स्वागत मन्त्री ने उनका हार्दिक स्वागत किया और विशेष सज्जा-सुसज्जित अध्यक्ष के आसन पर विराजमान किया। मुनि मंडल का पदार्पण
श्रावक संघ के आग्रह पर मुनि मंडल और महासती वृन्द ८.३० बजे सभा स्थल पर पधारे। उल्लासमय जयकारों और हार्दिक वन्दनाओं के साथ उपस्थित हजारों भाई-बहनों ने अपने गुरुवृन्द का स्वागत किया।
गुरु-वन्दना गीत द्वारा मंगलाचरण कर स्वागत गान द्वारा समागत मुनिराज और महासती जी का भाव भीना स्वागत किया गया ।
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