Book Title: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth
Author(s): Saubhagyamuni
Publisher: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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0 मुनि श्री कन्हैयालाल जी 'कमल'
[आगम अनुयोग प्रवर्तक गंभीर विद्वान]
भावांजली
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श्री जगदम्बा प्रवचन माता के प्रज्ञा-पुत्र श्री अम्बालालजी महाराज मेदपाट के महान् श्रमण साधक हैं। [१] आप
अमित अध्यात्मामृत के अनुपम आकर, सरलता सहृदयता के प्रशान्त महासागर । परम प्रज्ञा के प्रचण्ड प्रभाकर और,
सत्य, शील, संयम के हैं शान्त सुधाकर ॥ [२] आप
रत्नत्रय की आराधना में अविचल अनुरक्त, शिव पद की साधना में सतत प्रसक्त । अर्हन्त की उपासना में अनवरत आसक्त,
ऐसे मुनि पुङ्गव का है "मुनि कमल" श्रद्धायुत भक्त । [३] आपः
प्रकृति से प्रशान्त, आकृति से उत्क्रान्त । विकृति से विरक्त,
और हैं संस्कृति से संसक्त ।। [४] अब
दीक्षा अर्धशति के सु अवसर पर, शिक्षा विकास के हो प्रयत्न नगर-नगर । समीक्षा हो संघ संगठन के गठन की, प्रतीक्षा हो आपके शताब्दि अभिनंदन की।
हमारे आराध्य हैं अर्हन्त अभिनन्दन, हमारे आदर्श हैं "अम्ब" महा श्रमण । जय अभिनन्दन, जय अभिनन्दन, हो अभिनन्दन, हो अभिवन्दन ॥
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