Book Title: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth
Author(s): Saubhagyamuni
Publisher: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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पूज्य श्री नृसिंहदास जी महाराज रचित
श्री रोडजी स्वामी का गुण
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NOTES
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श्री रोड़जी स्वामी में गुण गणा। म्होटा तो स्वामी रोड़जी जी तपस्यारा भंडार। गाम करेड़ा माय ने वांकी-दया माता की दी साय जीराजा जी जब यूं कह्यो-स्वामी काजल लो महाराज । एक दिवस गढ़ पधारज्यो, म्हारा सफल करो काज जी॥ स्वामी तो मन में विचारियो जी, सूज तो काजल नाय । यो तो काजल लेणों नहीं, म्हारे दोष लागे वर्ता माय । स्वामी शहर सूं पधारिया, गया विखमी उजाड़। तेलो करी स्वामी विराजिया जी, बांकी आंख्या खूली तत्कालरायपुर स्वामी आवियाजी, घणां री वाली में जाय । तपस्या करे स्वामी रोड़जी जी, मूर्ख शिला मेली मांथे आय जी ।। सनवाड़ स्वामी आवीयां जी तपस्या करे भरपूर । चरण पकड़ गवाल्या घीसिया, वां तो क्षमा आणी मनशूर । स्वामी बठां तूं पधारिया, गया उदयपुर माय । स्वामी तो देवे धर्म देशना, वे तो भाया करे अरदास-- आतापना लेवे स्वामी रोड़जी जी सला उपर जाय। सर्प निकल्यो तिण अवसरे, उतो कालो दाटक नाग जीप्रक्रमा दीनी तिण अवसरे जी, राजा वासग नाग । पगा विचे उभो रयो, उतो उभो करे अरदासतपस्या करे स्वामी रोड़जी जी, एकलिंगजी में जाय । जोगी तो आया तिण अवसरे, वे तो लिया छोरा ने बुलाय । भाटा मार्या तिण अवसरे जी, रोड़जी ने तिण बार। ये बातां राज में सुणी जब लिया जोगी ने बुलायजोग्या ने दरबार बुलायने जी, रोक्या छ तिण वार । स्वामी रोड़ जी इम कहे याने छोड़ो जदी लेस्य अहार जी। नाथद्वारे स्वामी पधारिया जी, प्रतिबोध्या कितना इक ग्राम । श्रावक श्राविका अति घणां, वे तो लुर-लुर लागे पाँव ।
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