Book Title: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth
Author(s): Saubhagyamuni
Publisher: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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पूज्य श्री मानजी स्वामी विरचित पूज्य श्री नृसिंहदास जी महाराज के गुण
दोहा श्री अरिहंत सिद्ध नमी करी आचारज उवज्झाय । सर्व साधु नमी करी गुण गाऊँ चित लाय ।। गुरु हीरा गुरु कंचणा गुरु ज्ञान दातार । गुरु पोरस चित्र वेल सम लीज्यो मन में धार ।। गुरु पारस सारखा सीख लोह जिम जाण । कनक करे तत खिणे गुरु वचन प्रमाण ॥ गुरु कारीगर सारखा टाँकी वचन समेत । पत्थर थी प्रतिमा करी पूजा लहे सहेत ॥ तेह भणी गुरुदेव रा गुण वरण अभिराम । चरण नमी ने गावस्यूं पुजजी का गुण ग्राम ॥
ढाल-नानो २ नाहलो रे ॥एदेशी। सकल जिनन्द नमी करी करूं पुजजी रा गुण ग्राम । भविक जन साँभलो रे सजन जन चित लायके रे।
करज्यो थे परमाण ।भ०॥१॥ जंबूदीप ना भरत में रे बत्तीस सहस्र देश भ०॥ आर्य साढ़ा पचवीस हे रे अनार्य अवशेस ।भ०॥२॥ देश मेवाड़ मनोहरु रे ग्राम दश सहस्र परमाण ।भ०। राजा राज करे तिहारे भीमसिंघजी जाण ।भ०॥३।। सेर रायपुर सोभतो रे गढ मढ पोल प्रकार भ०। सेठ सेनापति तिहाँ वसे रे बहुला छे सुखकार ।भ०॥४॥ खत्री वंश में जाणिये रे गुलाबचन्द जी नाम ।भ०। भारज्या गमानाबाई दीपती रे रूपवंत अभिराम ।भ०॥५॥ सुभ सपनो अवलोकियोए उत्तम जीव अवतार ।भ०। नो महिना साढ़ी सात रात में रे जनम्या पुत्र विसाल ।भ०॥६॥ प्रथम ढाल पूरण थई रे जनम तणो अधिकार । रिख मानमल इण पर कहे रे लीज्यो पुण्यवंत धार ।।७।।
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