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________________ ०००००००००००० ०००००००००००० पूज्य श्री नृसिंहदास जी महाराज रचित श्री रोडजी स्वामी का गुण CHAITRIII ..... NOTES ITUNITI श्री रोड़जी स्वामी में गुण गणा। म्होटा तो स्वामी रोड़जी जी तपस्यारा भंडार। गाम करेड़ा माय ने वांकी-दया माता की दी साय जीराजा जी जब यूं कह्यो-स्वामी काजल लो महाराज । एक दिवस गढ़ पधारज्यो, म्हारा सफल करो काज जी॥ स्वामी तो मन में विचारियो जी, सूज तो काजल नाय । यो तो काजल लेणों नहीं, म्हारे दोष लागे वर्ता माय । स्वामी शहर सूं पधारिया, गया विखमी उजाड़। तेलो करी स्वामी विराजिया जी, बांकी आंख्या खूली तत्कालरायपुर स्वामी आवियाजी, घणां री वाली में जाय । तपस्या करे स्वामी रोड़जी जी, मूर्ख शिला मेली मांथे आय जी ।। सनवाड़ स्वामी आवीयां जी तपस्या करे भरपूर । चरण पकड़ गवाल्या घीसिया, वां तो क्षमा आणी मनशूर । स्वामी बठां तूं पधारिया, गया उदयपुर माय । स्वामी तो देवे धर्म देशना, वे तो भाया करे अरदास-- आतापना लेवे स्वामी रोड़जी जी सला उपर जाय। सर्प निकल्यो तिण अवसरे, उतो कालो दाटक नाग जीप्रक्रमा दीनी तिण अवसरे जी, राजा वासग नाग । पगा विचे उभो रयो, उतो उभो करे अरदासतपस्या करे स्वामी रोड़जी जी, एकलिंगजी में जाय । जोगी तो आया तिण अवसरे, वे तो लिया छोरा ने बुलाय । भाटा मार्या तिण अवसरे जी, रोड़जी ने तिण बार। ये बातां राज में सुणी जब लिया जोगी ने बुलायजोग्या ने दरबार बुलायने जी, रोक्या छ तिण वार । स्वामी रोड़ जी इम कहे याने छोड़ो जदी लेस्य अहार जी। नाथद्वारे स्वामी पधारिया जी, प्रतिबोध्या कितना इक ग्राम । श्रावक श्राविका अति घणां, वे तो लुर-लुर लागे पाँव । प ' MAU 98680 NOAR Ouote Direles.Personalitie-Only www.iainelibrary.org. INERNETHEIRANImane
SR No.012038
Book TitleAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamuni
PublisherAmbalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages678
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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