Book Title: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth
Author(s): Saubhagyamuni
Publisher: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
View full book text
________________
३७६ | पूज्य प्रवर्तक श्री अम्बालालजी महाराज-अभिनन्दन ग्रन्थ
००००००००००००
000000000000
(२) कनकावली तप-रत्नावली तप में जहां तीन बेले किए जाते हैं वहाँ कनकावली में तीन तेले किए जाते हैं । इसकी एक लड़ी में एक वर्ष, पांच महीने और बारह दिन लगते हैं। जिसमें से अठासी दिन पारणे के और एक वर्ष दो महीने और चौदह दिन तपस्या के होते हैं । इसकी भी चार लड़ी होती है तथा ३४ बेलों की जगह भी ३४ तेले किए जाते हैं।
(३) लघुसिंहनिष्क्रीड़ित तप–इसमें तैतीस दिन तो पारणे के तथा पांच महीने चार दिन की तपस्या एक लड़ी में होती है।
(४) महासिंहनिष्क्रीड़ित तप-इसमें इकसठ दिन तक पारणा किया जाता है तथा एक वर्ष चार माह और सत्रह दिन अर्थात् चार सौ सत्तानवें दिन तपस्या के होते हैं । इस तप की भी चार लड़ी की जाती है।
(५) सप्त-सप्तमिका तप-सात दिन तक नित्य प्रति एक वक्त में रोटी का पाव हिस्सा और एक बार की धारा में जितना पानी आता हो उतना ही उस रोज खाते-पीते हैं। यही क्रम सात दिन तक रखा जाता है। दूसरे सप्ताह में दो बार भोजन में पाव-पाव रोटी व इसी तरह पानी ग्रहण करना, इसी तरह क्रमशः तीसरे सप्ताह में तीन बार'...'सातवें सप्ताह में सात बार गृहस्थों द्वारा दिए गए भोजन और पानी को ग्रहण कर उसी पर अपने प्राणों की प्रतिपालना की जाती है इसे ही सप्त-सप्तमिका भिक्षु पडिमा कहते हैं ।
__ अष्टम-अष्टमिका आदि तप---सप्तम-सप्तमिका तप की तरह ही अष्टम-अष्टमिका तप किया जाता है, अन्तर केवल इतना ही है कि यह आठ सप्ताह तक किया जाता है। नवम-नवमिका नौ सप्ताह तक तथा दशम-दशमिका-दस सप्ताह तक किया जाता है।
(६) लघु सर्वतोभद्र तप-सर्वप्रथम उपवास→पारणा→बेला→पारणा-तेला यों चोला, पंचोला. तेला. चोला, पंचोला, उपवास, बेला, पंचोला, उपवास, बेला, तेला, चोला, बेला, तेला, चोला, पंचोला, उपवास चौला, पंचोला उपवास, बेला और तेला किया जाता है इसमें पचहत्तर दिन तपस्या के तथा पच्चीस दिन पारणे के होते हैं । इस तप की भी चार लड़ियाँ होती हैं।
(७) महासर्वतोभद्र तप-इस तप की एक परिपाटी करने में तपस्या के दिन १६६ लगते हैं और पारणे के दिन ४६ होते हैं यों एक परिपाटी में कुल दो सौ पैंतालीस दिन लगते हैं इसका चित्र इस प्रकार है
SANA SERINK
६
SAROBAR
CD
COakat
क
Jain Education Intematonal