Book Title: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth
Author(s): Saubhagyamuni
Publisher: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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४६० | पूज्य प्रवर्तक श्री अम्बालालजी महाराज - अभिनन्दन ग्रन्थ
ग्रन्थ का संग्रह किया । इस ग्रन्थ पर एक टिप्पण भी है पर, उसके कर्ता का नाम ज्ञात नहीं हो सका है। इसमें आचार्य के छत्तीस गुण, साधुओं के गुण, जिनकल्पिक के उपकरण, यति दिनचर्या, साढ़े पच्चीस आर्य देश, ध्याता का स्वरूप, प्राणायाम, बत्तीस प्रकार के नाटक, सोलह श्रृंगार, शकुन और ज्योतिष आदि विषयों का सुन्दर संग्रह है। महा निशीथ, व्यवहार भाष्य, पुष्पमाला वृत्ति आदि के साथ ही महाभारत, मनुस्मृति आदि संस्कृत के ग्रन्थों से भी यहाँ पर श्लोक उद्धृत किये गये हैं ।
ठक्कुर फेरू
ठक्कुर फेरू ये राजस्थान के कन्नाणा के निवासी श्वेताम्बर श्रावक थे। इनका समय विक्रम की १४वीं शती है । ये श्रीमाल वंश के धोंधिया ( धंधकुल) गोत्रीय श्रेष्ठी कालिम या कलश के पुत्र थे। इनकी सर्वप्रथम रचना युगप्रधान चतुष्पादिका है, जो संवत् १३४७ में वाचनाचार्य राजशेखर के समीप अपने निवास स्थान कन्नाणा में बनाई थी। इन्होंने अपनी कृतियों के अन्त में अपने आपको 'परम जैन' और जिणंदपय भत्तो' लिखकर अपना कट्टर जैनत्व बताने का प्रयास किया है । 'रत्न परीक्षा' में अपने पुत्र का नाम 'हेमपाल' लिखा है। जिसके लिए प्रस्तुत ग्रन्थ की रचना की गयी है। इनके भाई का नाम ज्ञात नहीं हो सका है ।
दिल्ली पति सुलतान अलाउद्दीन खिलजी के राज्याधिकारी या मन्त्रिमण्डल में होने से इनको बाद में अधिक समय दिल्ली रहना पड़ा । इन्होंने 'द्रव्य परीक्षा' दिल्ली की टंकसाल के अनुभव के आधार पर लिखी । गणित सार में उस युग की राजनीति पर अच्छा प्रकाश डाला गया है। गणित प्रश्नावली से यह स्पष्ट ज्ञात होता है कि ये शाही दरबार में उच्च पदासीन व्यक्ति थे । इनकी सात रचनाएँ प्राप्त होती हैं, जो बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं । जिनका सम्पादन मुनिश्री जिनविजयजी ने 'रत्नपरीक्षादि सप्त ग्रन्थ संग्रह २२ के नाम से किया है। युग प्रधान चतुष्पादिका तत्कालीन लोकभाषा चौपाई व छप्पय में रची गई है, और शेष सभी रचनाएँ प्राकृत में हैं । भाषा सरल व सरस है, उस पर अपभ्रंश का प्रभाव है ।
जयसिंहसूर
“धर्मोपदेश माला विवरण २३ जयसिंह सूरि की एक महत्त्वपूर्ण कृति है, जो गद्य-पद्य मिश्रित है। यह ग्रन्थ नागोर में बनाया था । २४
वाचक कल्याण तिलक
वाचक कल्याण तिलक ने छप्पन गाथाओं में कालकाचार्य की कथा लिखी । २५
होरकलशमुनि
प्रकट करता है। २६
मानदेवसूरि
हीरकलश मुनि ने संवत् १६२१ में 'जोइस हीर' ग्रन्थ की रचना की । यह ग्रन्थ ज्योतिष की गहराई को
मानदेवसूरि का जन्म नाडोल में हुआ । उनके पिता का नाम धनेश्वर व माता का नाम धारिणी था । इन्होंने 'शांतिस्तव और तिजयपहुत्त' नामक स्तोत्र की रचना की । २० नेमिचन्दजी भण्डारी
नेमिचन्दजी भण्डारी ने प्राकृत भाषा में 'षष्टिशतक प्रकरण' जिनवल्लभ सूरि गुण वर्णन एवं पार्श्वनाथ स्तोत्र आदि रचनाएँ बनाई हैं 5
स्थानकवासी मुनि
राजस्थानी स्थानकवासी मुनियों ने भी प्राकृत भाषा में अनेक ग्रन्थों की रचनाएँ की हैं। किन्तु साधनामाव
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