Book Title: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth
Author(s): Saubhagyamuni
Publisher: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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आचार्य हेमचन्द्र : जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व | ४५५
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मनीषियों की दृष्टि में आचार्य हेमचन्द्र १-'Creator of Gujarat consciousness'--'गुजरात का चेतनदाता→ By के. एम. मुन्शी. २-'Intellectual gaint'-'बोद्धिक राक्षस'-By प्रो० पारीख. ३-'गुजरात के ज्योतिर्धर'-By गुजरात के साहित्यिक मनीषी ४-'Ocean of knowledge'--'ज्ञान के महोदधि-डा० पिटर्सन ५–'विद्याम्भोनिधि :'-By. सोमप्रभसूरि-(शतार्थकाव्य)
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पागमा
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१ डा० वि०भा० मुसलगांवकर-'आचार्य हेमचन्द्र', पृ० १६६ २ प्रबन्धकोश-धुन्धकपुर । प्रबन्ध चिन्तामणि-'धुन्धुक्क' । पुरा०प्र०सं०-'धुन्धुक्क' । ३ प्रबन्धचिन्तामणि-मोढ़वंश । प्रबन्धकोश-मोढ़जातीय । पुरा०प्र०सं०-मोढ़कुल । ४ प्रबन्धकोश-(हेमसूरि प्रबन्ध) ५ प्रबन्धचिन्तामणि, पृ० ८३ ६ (क) प्रबन्धचिन्तामणि (हेमप्रभसूरिचरित), पृ० ८३ ।
(ख) कुमारपाल प्रतिबोध, पृ० ४७८ प्रबन्धकोश, प्रबन्धचिन्तामणि, कुमारपाल प्रतिबोध तथा पुरातन प्रबन्ध संग्रह में इनकी साधुदीक्षा के समय की . आयु आठ वर्ष ही बतलायी गयी है।
त्रिषष्ठि श० पु० चरित-प्रशस्ति, श्लोक १४ । ६ प्रबन्धकोश (हेमसूरि प्रबन्ध) १० प्रभावक चरित, पृ० ३४७, श्लोक ८४८ ।। ११ काव्यानुशासन की अंग्रेजी प्रस्तावना-प्रो० पारीख ।
१२ डा० वि०भा० मुसलगांवकर-'आचार्य हेमचन्द्र' । १३ (क) 'क्लुप्तं व्याकरणं नवं विरचितं छन्दो नवं व्याश्रया
लंकारी प्रथिती नवी प्रकटितं श्रीयोगशास्त्रं नवम् । तर्क : संजनितं नवो जिनवरादीनां चरित्रं नवं,
बद्धं येन न केन केन विधिना मोहः कृतो दूरतः ।। -तार्थकाव्य (ख) "विद्याम्भोनिधिः मंथमंदरगिरिः श्री हेमचन्द्रो गुरुः' -शतार्थकाव्य १४ अन्ययोग व्यवच्छेद की स्याद्वाद मञ्जरी टीका-सम्पादित-आ. शं० ध्र व १५ पुरानी हिन्दी, पृ० १२६
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