Book Title: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth
Author(s): Saubhagyamuni
Publisher: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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। श्री हीरामुनि 'हिमकर'
(तारक गुरु शिष्य)
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---0-0--0--0--0-0-0--0----0--0-0-0--0----2 है मेवाड़ सचमुच में ही रत्नगर्भा है। वीरों १ की रणभूमि के रूप में तो वह विश्व प्रसिद्ध
है ही किन्तु संतों की साधना भूमि, कवियों I की कर्म भूमि तथा भक्तों की आराधना भूमि
के रूप में भी गौरव-मंडित है। पढ़िए प्रस्तुत
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वीरों, सन्तों और भक्तों की भूमि- .
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मेवाड़ : एक परिचय
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मेवाड़ बहुरत्ना प्रसविनी वसुन्धरा है। भारतमाता का उत्तमाँग प्रदेश है। अरावली पर्वत की श्रेणियों से घिरी हुई यह सुरम्य स्थली जहाँ एक ओर प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से सुन्दरम् की वर्षा करती है वहाँ दूसरी और सन्त और भक्तजनों की सौरममयी मधुर कल-कल करती वाणी से इसके कण-कण में सत्यं और शिवम् की पावन भावना मुखरित हो उठी है।।
सत्यं, शिवं और सुन्दरम् से परिपूरित इस मेवाड़ की धरती ने न केवल राजस्थान, वरन् सम्पूर्ण भारत भूमि के गौरव को चार चाँद लगा दिये हैं।
जैन आगमानुसार मानव-जगत के अढ़ाई द्वीप हैं। इन द्वीपों में पाँच मेरुपर्वत हैं। जम्बूद्वीप सर्व द्वीपों में श्रेष्ठ माना गया है । पाँच मेरुपर्वतों में भी सबसे बड़ा और सुरम्य पर्वत जम्बू-द्वीप का मेरुपर्वत माना गया है। यह प्रकृति की देन है। प्रकृति स्वभावजन्य वस्तु है। उसकी संरचना कोई नहीं करता वरन् वह स्वत: बनने वाला महान् तत्त्व है। सुन्दरम् का निर्माण करने और उसे विकसित करने वाला शुभ कर्म के अतिरिक्त और कोई नहीं है। जैन नियमानुसार शुभ और अशुभ दो प्रकार के कर्म हैं। यही दो कर्म प्राकृतिक सौन्दर्य और असौन्दर्य में सदा क्रियाशील रहते हैं। उन कर्मों के कर्ता और कोई नहीं, हम जगत-जीव ही हैं।
पाँच मेरुपर्वतों से सुशोभित यह अढ़ाई द्वीप ही हमारी कर्मभूमि मानी जाती है। इन सभी द्वीपों के मध्यभाग में जम्बू द्वीप है। वह यही जम्बूद्वीप है जिसके एक भू-माग का नाम-"भरत-क्षेत्र" है। उसी को भारतवर्ष भी कहते हैं । इसी भारतवर्ष के मध्य-माग में मेवाड़ की उर्वरा भूमि है। भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक सम्पदा
वर्तमान राजस्थान प्रान्त का उदयपुर, चित्तौड़ व भीलवाड़ा जिला मेवाड-क्षेत्र के अन्तर्गत माना जा सकता है । प्राकृतिक बनावट की दृष्टि से उदयपुर और चित्तौड़ जिले का अधिकांश भाग पहाड़ी है और भीलवाड़े का भाग मैदानी । अरावली पर्वत मेवाड़ का सबसे बड़ा पर्वत है । और कहीं-कहीं यही पहाड़ मेवाड की प्राकृतिक सीमा का निर्धारण करता है। अरावली पर्वत के मध्य भाग में जरगा की श्रेणी है। अरावली पर्वत समुद्र की सतह से औसतन २३८३' ऊँचा है। जरगा की श्रेणी तक तो यह पर्वत ४३१५' तक ऊंचा हो गया है।
मेवाड़ के अधिकांश लोग मक्का, गेहूँ, गन्ना, जौ आदि की खेती करते हैं। यहाँ का मुख्य भोजन मक्का है। यहाँ की मुख्य सम्पदा विभिन्न प्रकार के खनिज द्रव्य हैं। उदयपुर और उसके आसपास का क्षेत्र खनिज उद्योग की दृष्टि से न केवल भारत का वरन् सम्पूर्ण विश्व के आकर्षण का केन्द्र बन रहा है। इसके आसपास जिक,
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