Book Title: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth
Author(s): Saubhagyamuni
Publisher: Ambalalji Maharaj Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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५८ | पूज्य प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी महाराज–अभिनन्दन ग्रन्थ
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0 गोटूलाल मांडोत 'निर्मल' रायपुर
स्वर्गीय मेवाड़-भूषण गुरुदेव श्री मोतीलालजी महाराज [विचारक एवं सामाजिक कार्यकर्ता] साहब की असाध्य बीमारी की वजह से उनकी सेवार्थ वि.सं.२०२८ का पूज्य गुरुदेव श्री अम्बालालजी महा
मुनिश्री का हमारे गाँव देलवाड़े में पांच साल तक लगातार राज का वर्षावास कोशीथल (मेवाड़) में था। स्वाध्यायी
चातुर्मास होता रहा। अतः उनके व्याख्यानों का लाभ संघ गुलाबपुरा के सम्पर्क में रहने से मुझे प्रतिक्रमण
स्थानीय स्थानकवासी श्रावक संघ ने जी भरकर उठाया। कण्ठस्थ था तथा प्रतिदिन सायंकाल को प्रतिक्रमण सुनाने ।
उनकी प्रखरवाणी, अखण्ड-ज्ञान और पवित्र चारित्र्य का
जितना लाभ इस संघ ने उठाया शायद ही उतना किन्हीं का अवसर भी मुझे ही मिलता था। एक दिन प्रतिक्रमण करते समय मुझे कुछ ऐसा आभास
और लोगों ने उठाया होगा। हुआ कि श्रोताओं की विशाल जनमेदिनी में आपस में चर्चा संघ को यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता की अनुभूति हुईचल रही है और नीरवता में कुछ कमी आ रही है। प्रति- है कि परम पूज्य मुनिश्री के तपस्वी जीवन के ५० वर्ष क्रमण के लिये शान्त स्थान अधिक उपयुक्त रहता है, ऐसा सम्पूर्ण हो जाने के उपलक्ष में उन्हें अभिनन्दन-ग्रन्थ समर्पित सोचकर मैंने स्थान परिवर्तन कर दिया। वातावरण इससे किया जा रहा है। एकदम शान्त हो गया और मेरे दूर बैठने पर भी आवाज एतदर्थ, गुरुदेव के चरण कमलों में देलवाड़ा स्थानक दूर तक साफ सुन ली गई। प्रतिक्रमण के ठीक बाद क्षमा- वासी श्रावक संघ अपनी हार्दिक श्रद्धाञ्जलि अर्पित याचना का दौर प्रारम्म हआ और मैं गुरुदेव श्री के समीप करता है। देवसी अपराधों की क्षमा मांगने लगा। गुरुदेव मुझे उदास लगे, लगा उनका अन्तर मेरे अपराध से व्यथित हुआ है, भावों को पूज्य श्री रोक नहीं सके और कहा-"आज 0 शंकरलाल कोठारी तुमने संघ की अशातना की है, संघ की अशातना घोर [मन्त्री-मोलेला मण्डल, फोर्ट (बम्बई) अपराध है, तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए.....!"
यह अति प्रसन्नता का विषय है कि मेवाड़ भूमि में नन्दी सूत्र में वर्णित संघ की स्तुति का वर्णन करते
एक महानतम सन्त का उनकी ५० वर्ष की दीक्षा जीवन हए गुरुदेव श्री ने संघ की महिमा मुझे समझाई, मेरे अंतर
की सफलता पर अभिनन्दन होने जा रहा है। आज हमारे में प्रकाश की किरण उत्पन्न हो गई और श्रद्धा और भक्ति " से मैंने गुरुदेव श्री से अपने अपराध की आलो चना की।
समाज का इससे बढ़कर और गौरवपूर्ण विषय क्या हो
सकता है ? इस महानतम सन्त को मेवाड़ शिरोमणी पूज्य प्रसंग पुराना है, किन्तु मुझे लगता है जैसे गुरुदेव श्री
प्रवर्तक गुरुदेव श्री अम्बालाल जी महाराज साहब के नाम आज भी मेरे हृदय में विराजित हैं और मुझे संघ सेवा की
से आज सम्पूर्ण समाज जानता है। प्रेरणा दे रहे हैं।
यह सत्य है कि जीवन के सत्य, सरलता, समता,
मृदुलता, सन्तोष, विनय, विवेक, सहिष्णुता आदि अमर 0 देलवाड़ा स्थानकवासी श्रावक संघ, देलवाड़ा
फल हैं । इन अमर फलों का रसास्वादन सन्त के जीवन [मंत्री-रतनलाल मेहता]
की पवित्र प्रेरणाओं से ही कर सकते हैं । ये सभी जीवन परम पूज्य प्रातः स्मरणीय 'मेवाड-भूषण' गुरुदेव श्री के अमर फल गुरुदेवश्री में विद्यमान हैं। वे एक महान अम्बालाल जी महाराज साहब को आज कौन नहीं जानता? सन्त हैं, भक्त हैं, साधक हैं, विद्वान हैं तथा समाज उनके ज्ञान-दर्शन और चारित्र में किसी को सन्देह नहीं। संगठक हैं। उनकी ज्ञान-दर्शन और चारित्र की महिमा ही है कि आज मोलेला मण्डल फोर्ट के सर्व सदस्यगण शुद्ध हृदय से उनको ऐसी शिष्य-मंडली उपलब्ध है-जिनकी प्रखर ऐसे महिमावान सन्त मुनिश्री का अभिनन्दन करते हैं। वाणी से उदयपुर ही नहीं वरन् दूर-दूर के जैन-अजैन आपका त्यागमय तपस्वी जीवन उच्चतम शिखर पर पहुँच समुदाय को अपने जीवन को ऊंचा उठाने और सही मार्ग- कर सम्पूर्ण समाज को आलोकित करे । यही हमारी हार्दिक दर्शन पाने का मौका मिला है।
शुभकामना है।
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