________________
This aphorism finds mention with the last paragraph in almost all available alternative readings of the (Nisheeth) Sutra. For more information in this context please refer to elaboration of the first paragraph (sutra).
In this aphorism the word 'Parihaaratthanam' carries the meaning of general atonement. In other chapters (Uddeshak) also, where it has been used with maasik (monthly) and chaturmaasik (four-monthly), the same meaning should be taken. Nowhere the special meaning of 'atonement by parihaar tap' should be taken.
सूत्र - 1
सूत्र - 2 - 8
सूत्र - 9
सूत्र - 10.
सूत्र - 11
सूत्र - 12
सूत्र - 13
सूत्र - 14
सूत्र - 15-18
सूत्र - 19-22
सूत्र - 23-26
सूत्र - 27-30
सूत्र - 31-34
सूत्र - 35-38
सूत्र - 39
सूत्र - 40
सूत्र - 41
सूत्र - 42
सूत्र - 43
सूत्र - 44
सूत्र - 45
प्रथम उद्देशक
प्रथम उद्देशक का सारांश
The summary of the first chapter
हस्तकर्म करना।
>
अंगादान का 1. संचालन 2. संबाधन 3. अभ्यंगन, 4. उबटन, 5. प्रक्षालन, 6. त्वचा अपवर्तन, और 7. जिघ्रण क्रियाएँ करना।
शुक्र पुद्गल निकालना ।
सचित्त पदार्थ सूँघना ।
पदमार्ग बनवाना, संक्रमण (पुल) मार्ग बनवाना, अवलम्बन का साधन बनवाना ।
पानी निकालने की नाली बनवाना ।
छींका और उसका ढक्कन बनवाना ।
सूत की या रज्जू की चिलमिली बनवाना ।
सूई, कैंची, नखछेदनक और कर्णशोधनक सुधरवाना।
सूई आदि की बिना प्रयोजन याचना करना।
सूई आदि की अविधि से याचना करना ।
जिस कार्य के लिए सूई आदि की याचना की है, उससे भिन्न कार्य करना ।
अपने कार्य के लिए सूई आदि की याचना करके अन्य को उसके कार्य के लिए दे देना।
सूई आदि अविधि से लौटाना ।
पात्र का परिकर्म करवाना।
दण्ड, लाठी, अवलेखनिका और बाँस की सूई का परिकर्म करवाना।
अकारण पात्र के तीन से अधिक थेगली लगाना ।
सकारण पात्र के तीन से अधिक थेगलियाँ लगाना ।
पात्र के अविधि से बंधन बाँधना ।
पात्र के एक बंधन लगाना ।
पात्र के तीन से अधिक बंधन लगाना ।
(27)
First Lesson